किसी अर्द्धगोलाकार सतह के वक्रता केन्द्र पर प्रकाश का एक बिंदु स्त्रोत रखा हुआ है। यह स्त्रोत $24 \mathrm{~W}$ की शक्ति उत्सर्जित करता है। अर्द्धगोलीय वक्र की वक्रता त्रिज्या $10 \mathrm{~cm}$ है एवं उसकी आंतरिक सतह पूर्णतः परावर्ती है। अर्द्धगोले पर, गिरने वाले प्रकाश के कारण आरोपित बल का मान $\times 10^{-8} \mathrm{~N}$ है।
$3$
$2$
$1$
$4$
$660 \;nm$ तरंगदैर्घ्य की एक लेज़ लाइट को रेटिना वियोजन को जोड़ने के लिए प्रयोग किया जाता है। यदि $60 \;ms$ चौड़ाई एवं $0.5 \;kW$ शक्ति के लेज़ स्पन्द (pulse) का प्रयोग किया जाये तो उस स्पन्द में फोटॉनों की संख्या लगभग होगी :
[प्लांक नियतांक $h =6.62 \times 10^{-34} \;Js$ ]
किसी प्रकाश विद्युत सेल में ऊर्जा का रूपातंरण होता है
प्रकाश विद्युत सेल में फोटो इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन होता है
प्रकाश विद्युत प्रभाव में, धात्विक सतह से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा निर्भर करती है
एक पदार्थ का कार्यफलन $3.0 \mathrm{eV}$ है। इस पदार्थ से प्रकाश इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन के लिए आवश्यक अधिकतम तरंगदैर्ध्य लगभग है।