एक प्रोटॉन एवं एक अल्फा कण को अलग-अलग एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में प्रक्षेपित किया जाता है। इन कणों के प्रारम्भिक वेग चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् हैं। यदि दोनों कण चुम्बकीय क्षेत्र के चारों ओर बराबर त्रिज्या के वृत्ताकार पथ पर चक्कर लगायें तो प्रोटॉन व अल्फा कण के संवेगों का अनुपात $\left( {\frac{{{P_p}}}{{{P_a}}}} \right)$ होगा
$1$
$0.5$
$2$
$0.25$
एक आवेशित कण जिस पर $1\, \mu C$ का आवेश है $(2 \hat{ i }+3 \hat{ j }+4 \hat{ k })\, ms ^{-1}$ वेग से चल रहा है। यदि कण के आस पास $(5 \hat{ i }+3 \hat{ j }-6 \hat{ k }) \times 10^{-3} \,T$ का चुम्बकीय क्षेत्र हो तो कण पर लगने वाला बल $\overline{ F } \times 10^{-9} \,N$ है। $\overline{ F }$ वेक्टर है।
इलेक्ट्रॉन की गति की दिशा से $90°$ कोण पर एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र कार्य कर रहा है। परिणामत: इलेक्ट्रॉन $2\, cm$ त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर गति करता है। यदि इलेक्ट्रॉन की चाल दोगुनी कर दी जाए तो वृत्तीय पथ की त्रिज्या.....सेमी होगी:
एक $10\, eV$ ऊर्जा का एक इलैक्ट्रॉन चुम्बकीय क्षेत्र $10^{-9}$ वेबर/मी. $(1G)$ के लम्बवत् गति करता है तथा दोनों धाराओं से symmetrical हैं। तो इसके पथ की त्रिज्या ...... सेमी होगी
त्रिज्या $\mathrm{r}_{\mathrm{A}}=10 \mathrm{~cm}$ एवं $\mathrm{r}_{\mathrm{B}}=20 \mathrm{~cm}$ वाली दो अच्छी तरह कसी हुई वृत्ताकार कुंडलियों क्रमशः $\mathrm{A}$ एवं $\mathrm{B}$ में निहित चुम्बकीय आघूर्ण बराबर होगें यदि : (जहाँ $\mathrm{N}_{\mathrm{A}}, \mathrm{I}_{\mathrm{A}}$ तथा $\mathrm{N}_{\mathrm{B}}, \mathrm{I}_{\mathrm{B}}$ क्रमशः कुंडली $A$ एवं $B$ में घेरों की संख्या एवं धारा है)
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में गति करते हये कण का वेग बढ़ता है तो इसके वृत्तीय पथ की त्रिज्या