एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र को एक स्थिर इलेक्ट्रॉन पर आरोपित किया जाता है तब

  • A

    इलेक्ट्रॉन क्षेत्र की दिशा में गति करता है

  • B

    इलेक्ट्रॉन क्षेत्र की विपरीत दिशा में गति करता है

  • C

    इलेक्ट्रॉन स्थिर रहता है

  • D

    इलेक्ट्रॉन चक्रण करना प्रारम्भ करता है

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एक इलेक्ट्रॉन (आवेश $q$ कूलॉम) $H$ वेबर/मी$^2$ के चुम्बकीय क्षेत्र में उस क्षेत्र की ही दिशा में वेग $v$ मी/सै से प्रवेश करता है। इलेक्ट्रॉन पर लगने वाला बल है

$2.5 \times {10^7}m/s$ के वेग से गतिमान एक प्रोटॉन $2.5\, T$ के चुम्बकीय क्षेत्र में, चुम्बकीय क्षेत्र से ${30^o}$ का कोण बनाते हुए प्रवेश करता है। प्रोटॉन पर बल है

वर्णित हेल्महोल्टज कुंडलियों का उपयोग करके किसी लघुक्षेत्र में $0.75\, T$ का एकसमान चुंबकीय क्षेत्र स्थापित किया है। इसी क्षेत्र में कोई एकसमान स्थिरवैध्यूत क्षेत्र कुंडलियों के उभयनिष्ठ अक्ष के लंबवत लगाया जाता है। (एक ही प्रकार के ) आवेशित कणों का $15 \,kV$ विभवांतर पर त्वरित एक संकीर्ण किरण पुंज इस क्षेत्र में दोनों कुंडलियों के अक्ष तथा स्थिरवैध्यूत क्षेत्र की लंबवत दिशा के अनुदिश प्रवेश करता है। यदि यह किरण पुंज $9.0 \times 10^{-5}\, V m ^{-1}$, स्थिरवैध्यूत क्षेत्र में अविक्षपित रहता है तो यह अनुमान लगाइए कि किरण पुंज में कौन से कण हैं। यह स्पष्ट कीजिए कि यह उत्तर एकमात्र उत्तर क्यों नहीं है।

एक समरुप विद्युत क्षेत्र तथा समरुप चुम्बकीय क्षेत्र एक ही दिशा में उत्पन्न किये गये हैं। उसी दिशा में एक इलेक्ट्रॉन को प्रक्षेपित किया जाता है, तो

  • [AIEEE 2005]

एक दूसरे के लम्बवत् विद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन पुंज क्षेत्रों के लम्बवत् गति करता है, तो इलेक्ट्रॉनों का वेग .............. $m{s^{ - 1}}$ होगा (जबकि विद्युत क्षेत्र की तीव्रता $20\;V{m^{ - 1}}$एवं चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता $0.5 T$​ है)

  • [AIPMT 1996]