त्रिज्या $R$ का एक समान वलय एक क्षैतिज सतह पर गति $v$ से चलते हुए $h$ ऊँचाई के एक ढाल जो कि $30^{\circ}$ कोण पर झुकी हुई है पर चढ़ता है. पूरी गति के दौरान वलय कहीं भी फिसलता नहीं है. तब $h$ का मान होगा
$v^{2} / 2 g$
$v^{2} / g$
$3 v^{2} / 2 g$
$2 v^{2} / g$
$ 10 $ किग्रा द्रव्यमान एवं $ 0.5 $ मीटर त्रिज्या की एक वस्तु बिना फिसले $ 2 $ मी/सै के वेग से लुढ़क रही है। इसकी कुल गतिज ऊर्जा $ 32.8 $ जूल है। वस्तु की घूर्णन त्रिज्या.......... $m$ है
दो डिस्कों (चक्रिकायों) के जड़त्व आघूर्ण आपस में बराबर हैं। ये अपनी-अपनी नियमित अक्ष, जो इनके समतल के लम्बवत् है और चक्रिका के केन्द्र से होकर गुजरती है के परित: क्रमशः $\omega_{1}$ तथा $\omega_{2}$ कोणीय वेग से घूर्णन कर रही है। इनको एक दूसरे के सम्मूख इस प्रकार सम्पर्क में लाया जाता है कि, इनकी घूर्णन अक्ष संपाती हो जाती हैं। तो, इस प्रक्रम में ऊर्जा-क्षय के लिये व्यंजक होगा:
किसी क्षैतिज तल पर, एक ठोस गोला बिना फिसले लुढ़क रहा है। यदि गोले के घूर्णन के अक्ष के परितः इसके कोणीय संवेग का, घूमते हुए गोले की कुल ऊर्जा से अनुपात $\pi: 22$ है, तो इसकी कोणीय चाल का मान___________$\mathrm{rad} / \mathrm{s}$ है।
$\mathrm{R}$ त्रिज्या तथा $\mathrm{M}$ द्रव्यमान की एक चकती (डिस्क) $v$ चाल से क्षैतिज दिशा में बिना फिसले लुढ़कती है। इसफे बाद यह ऐक चिकनें जानत तल पर ऊपर की ओर गति करती है जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। चकती द्वारा आनत तल पर चढ़ सकने की अधिकतम ऊँचाई है :
$I$ जड़त्व की एक स्थिर चकती अपनी अक्ष पर घूर्णन करने के लिए स्वतंत्र है। जब इस पर एक बाह्य बलाधूर्ण लगाया जाता है तब इसकी गतिज ऊर्जा $K \theta^{2}$ के समान है, जहीं $K$ एक धनात्मक नियतांक है। कोण $\theta$ पर इसका कोणीय त्वरण होगा।