एक स्थिर आवेश पर एक बहुत उच्च चुम्बकीय क्षेत्र आरोपित किया जाता है। तब आवेश
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में एक बल अनुभव करेगा
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के लम्बवत एक बल अनुभव करेगा
किसी भी निरपेक्ष दिशा में एक बल अनुभव करे
कोई बल नही
त्रिज्या $\mathrm{r}_{\mathrm{A}}=10 \mathrm{~cm}$ एवं $\mathrm{r}_{\mathrm{B}}=20 \mathrm{~cm}$ वाली दो अच्छी तरह कसी हुई वृत्ताकार कुंडलियों क्रमशः $\mathrm{A}$ एवं $\mathrm{B}$ में निहित चुम्बकीय आघूर्ण बराबर होगें यदि : (जहाँ $\mathrm{N}_{\mathrm{A}}, \mathrm{I}_{\mathrm{A}}$ तथा $\mathrm{N}_{\mathrm{B}}, \mathrm{I}_{\mathrm{B}}$ क्रमशः कुंडली $A$ एवं $B$ में घेरों की संख्या एवं धारा है)
एक ड्यूट्रोन तथा एक प्रोटोन समान गतिज ऊर्जा के साथ गति करते हुए एक समरुप चुम्बकीय क्षेत्र में क्षेत्र के लम्बवत् प्रवेश करते है। यदि $r_d$ व $r_p$ क्रमश: उनके वृत्तीय पथों की त्रिज्यायें है, तो अनुपात $r _{ d } / r _{ p }$ का मान $\sqrt{ x }: 1$ हैं $x$ का मान ज्ञात कीजिये।
स्थाई चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेशित कण के मार्ग की वक्रता त्रिज्या है
नीचे दिये गये चित्र में, दो समरूप $B_1$ व $B_2$ चुम्बकीय क्षेत्र वाले स्थानों से इलेक्ट्रॉन के गुजरने पर प्राप्त इलेक्ट्रॉन-पथों को दर्शाया गया है। यदि प्रत्येक स्थान पर पथ अर्द्धवृत्त है तब सही विकल्प है
एक $50\, keV$ गतिज ऊर्जा का ड्यूट्रॉन चुम्बकीय क्षेत्र $\overrightarrow B $ के तल के लम्बवत् $0.5$ मीटर त्रिज्या की वृत्तीय कक्षा निर्मित करता है तो उस प्रोट्रॉन की गतिज ऊर्जा जो इसी तल $B$ में $0.5$ मीटर त्रिज्या की वृत्तीय कक्षा निर्मित करता है,......$keV$