निर्वात नलिकाओं में ऑक्साइड लेपित तन्तु का उपयोग किया जाता है क्योंकि आवश्यक रूप से
इसका गलनांक बिन्दु उच्च होता है
ये उच्च ताप सह सकता है
इसकी यांत्रिक क्षमता अधिक होती है
ये कम ताप पर भी इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित कर सकता है
जब इलेक्ट्रॉनों का वेग बढ़ता है तब उसके विशिष्ट आवेश का मान
निम्न प्रश्नों के उत्तर द्रीजिए :
$(a)$ ऐसा विचार किया गया है कि प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के भीतर क्वार्क पर आंशिक आवेश होते हैं $[(+2 / 3) e ;(-1 / 3) e]$ । यह मिलिकन तेल-बूँद प्रयोग में क्यों नहीं प्रकट होते?
$(b)$ $e / m$ संयोग की क्या विशिष्टता है? हम $e$ तथा $m$ के विषय में अलग-अलग विचार क्यों नहीं करते?
$(c)$ गैसें सामान्य दाब पर कुचालक होती हैं परंतु बहुत कम दाब पर चालन प्रारंभ कर देती हैं। क्यों?
$(d)$ प्रत्येक धातु का एक निश्चित कार्य-फलन होता है। यदि आपतित विकिरण एकवर्णी हो तो सभी प्रकाशिक इलेक्ट्रॉन समान ऊर्जा के साथ बहर क्यों नहीं आते हैं? प्रकाशिक इलेक्ट्रोनों का एक ऊर्जा वितरण क्यों होता है?
$(e)$ एक इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा तथा इसका संवेग इससे जुड़े पदार्थ-तरंग की आवृत्ति तथा इसके तरंगदैर्घ्य के साथ निम्न प्रकार संबंधित होते हैं :
$E=h v, p=\frac{h}{\lambda}$
परंतु $\lambda$ का मान जहाँ भौतिक महत्व का है, $v$ के मान (और इसलिए कला चाल $v \lambda$ का मान ) का कोई भौतिक महत्व नहीं है। क्यों?
जब कैथोड किरणों पर एक अनुप्रस्थ विद्युत क्षेत्र कार्य करता है तो वे
कैथोड किरणें एवं कैनाल किरणें एक विसर्जन नलिका में उत्पन्न होती हैं, एक ही दिशा में विक्षेपित होंगी यदि
इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा बढ़ाई जा सकती है यदि