क्या संधारित्र में परावैद्युत माध्यम के रुप में धातुओं का उपयोग कर सकते हैं
हाँ
नहीं
प्रयोग पर निर्भर करता है
उपरोक्त में से कोई नहीं
क्योंकि धातुयें विद्युत की अच्छी चालक होती हैं।
प्रत्येक त्रिज्या $0.02\,m$ तथा प्रत्येक $5\,\mu C$ आवेशवाही चौसठ चालक बून्दे, संयोजित होकर एक बड़ी बून्द का निर्माण करती है। बड़ी बूँद के सतही घनत्व तथा छोटी बूँद के सतही घनत्व का अनुपात होगा-
किसी चालक के पृष्ठ पर प्रति इकाई क्षेत्रफल आवेश $q$ है तो पृष्ठ के किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता होगी
चालक प्लेट में चालन इलेक्ट्रॉन लगभग एकसमान रूप से वितरित रहते हैं। स्थिर-वैद्युत क्षेत्र $E$ में रखने पर प्लेट के अन्दर वैद्युत क्षेत्र
यदि धातु के ठोस गोले को कुछ आवेश दिया जाता है तो, धातु के अन्दर विद्युत् क्षेत्र शून्य होता है। गॉस (Gauss) के नियम के तहत, आवेश गोले के सतह पर ही स्थित रहता हैं | अब यदि यह मान लें कि दो आवेशों के बीच का कूलाम्बिक बल (Coulomb's force) $1 / r^3$ के हिसाब से बदलता है, तब आवेशित धातु के गोले के अन्दर
पृथ्वी का विद्युत विभव शून्य माना जाता है क्योंकि पृथ्वी एक
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