अर्द्धआयु काल मापा जाता है   

  • A

    गिगर मूलर काउन्टर द्वारा

  • B

    कार्बन डेटिंग विधि द्वारा

  • C

    स्पेक्ट्रोस्कोप विधि

  • D

    विल्सन क्लाउड चेम्बर विधि

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रेडियों सक्रियता के संगत निम्न कथन दिए गए हैं:

$(A)$ रेडियो सक्रियता एक यादृच्छिक तथा स्वत: घटना है जो कि भौतिक तथा रासायनिक परिस्थितियों पर निर्भर करती है।

$(B)$ रेडियो सक्रिय प्रतिदर्श में अविघटित नाभिको की संख्या समय के साथ चरघातांकी रुप से विघटित होती है।

$(C)$ $\log _e$ (अविघटित नाभिकों की संख्या) तथा माध्य समय के मध्य आरेख की ढाल, माध्य आयुकाल $(\tau)$ को दर्शाती है।

$(D)$ क्षय नियतांक $\lambda$ तथा अर्द्धआयुकाल $\left( T _{1 / 2}\right)$ का गुणनफल नियत नहीं रहता है।

सही विकल्प चुनिऐ :-

  • [JEE MAIN 2022]

$100$ नाभिक प्रति सैकिण्ड की स्थिर दर से क्षयस्थिराँक $0.5 / s$ वाले रेडियोसक्रिय नाभिक उत्पन्न हो रहे हैं। यदि $t=0$ पर एक भी नामिक उपस्थित नहीं था, तब $50$ नाभिक उत्पन्न होने में लगा समय है

  • [JEE MAIN 2014]

नवीन रुप से बने रेडियोएक्टिव स्रोत से (जिसकी अर्द्ध-आयु $2$ घंटे है) उत्सर्जित विकिरण की तीव्रता अनुमत सुरक्षित स्तर से $64$ गुना है। वह न्यूनतम समय जिसके पश्चात् इस स्रोत से सुरक्षापूर्वक ........ घंटे  कार्य किया जा सकेगा

  • [IIT 1983]

किसी पदार्थ के लिए $\alpha  - $ कण उत्सर्जन के लिए औसत आयु $1620$ वर्ष है एवं $\beta  - $कण उत्सर्जन के लिए $405$ वर्ष है। तो $\alpha $ तथा $\beta $ कण उत्सर्जन के कितने ......... वर्ष पश्चात एक-चौथाई पदार्थ शेष रहेगा

किसी समय पर $5 \mu Ci$ एक्टिवता के एक रेडियोएक्टिव नमूने (sample) $S_{1}$ में नाभिकों की संख्या एक दूसरे नमूने $S _{2}$, जिसकी एक्टिवता $10 \mu Ci$ है, के नाभिकों से दुगुनी है। $S_{1}$ एवं $S_{2}$ की अर्द्ध-आयुओं का मान होगा

  • [JEE MAIN 2018]