अर्द्धआयु काल मापा जाता है
गिगर मूलर काउन्टर द्वारा
कार्बन डेटिंग विधि द्वारा
स्पेक्ट्रोस्कोप विधि
विल्सन क्लाउड चेम्बर विधि
एक रेडियोसक्रिय तत्व का $16$ ग्राम प्रतिदर्श (सेम्पल) बम्बई से दिल्ली $2 $ घण्टे में लाया जाता है और यह पाया गया कि तत्व का $1$ ग्राम ही शेष (अविघटित) बचा। तत्व की अर्द्ध-आयु है
एक रेडिया सक्रिय विघटन श्रृंखला अभिक्रिया में ${ }_{90}^{230} Th$ नाभिक ${ }_{84}^{214} Po$ नाभिक में विघटित होता है। इस प्रक्रम में उत्सर्जित $\alpha$ व $\beta^{-}$कणों की संख्या का अनुपात होगा।
दो रेडियोधर्मी नाभिकों, $A$ तथा $B$, की अर्धआयु क्रमशः $10$ minutes तथा $20$ minutes है। यदि एक नमूने में आरम्भ में दोनों नाभिकों की संख्या बराबर है तो $60$ minutes पश्चात् $A$ तथा $B$ के क्षयित नाभिकों की संख्या का अनुपात होगा।
यदि एक रेडियोएक्टिव नमूने की अर्द्ध-आयु $10$ घण्टे है तो उसकी औसत आयु ....... घण्टे होगी