दो बिन्दुओं के मध्य $0.25$ कूलॉम आवेश को चलाने के लिए $4 \times {10^{10}}eV$ ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इन बिन्दुओं के मध्य विभवान्तर .......$V$ है
$178$
$256$
$356$
इनमें से कोई नहीं
नीचे दिए गए चित्र में एक आवेश विन्यास जिसे विध्यूत चतुर्ध्रुवी कहा जाता है, दर्शाया गया है। चतुर्ध्रुवी के अक्ष पर स्थित किसी बिंदु के लिए $r$ पर विभव की निर्भरता प्राप्त कीजिए जहाँ $r / a>>1$ । अपने परिणाम की तुलना एक विध्यूत द्विध्रुव व विध्यूत एकल ध्रुव (अर्थात् किसी एकल आवेश ) के लिए प्राप्त परिणामों से कीजिए।
चित्रानुसार $l$ भुजा के समबाहु त्रिभुज के शीर्षों पर तीन आवेश $Q,( + q)$ तथा $( + q)$ रखे गये हैं। यदि निकाय की कुल स्थिर विद्युतीय ऊर्जा शून्य हो तो $Q$ का मान है
छः आवेशों $+ q - q + q .- q$, $+ q$ एवं $- q$ को $d$ भुजा वाले एक षटभुज के कौनो पर चित्रानुसार लगाया गया है। अनन्त से आवेश $q _0$ को षटभुज के केन्द्र तक लाने में किया गया कार्य है :
( $\varepsilon_0$ - मुक्त आकाश का परावैद्युतांक)
कुल आवेश $q$ तथा त्रिज्या $3 a$ का एक एकसमान आवेशित वलय $xy$-समतल में मूलबिंदु पर केन्द्रित रखा है। एक बिन्दु आवेश $q$ इस वलय की तरफ $Z$-अक्ष पर चल रहा है। इसकी $z =4 a$ पर चाल $v$ है। मूलबिंदु को पार करने के लिए $v$ का न्यूनतम मान होगा ।
निम्न चित्र में एक इलेक्ट्रॉन को $A$ से $B$ के अनुदिश चलाने में विद्युत क्षेत्र के द्वारा किया गया कार्य $6.4 \times {10^{ - 19}}J$ है। यदि ${\phi _1}\;$ एवं ${\phi _2}$ समविभवी सतह हैं, तब विभवान्तर $({V_C} - {V_A})$ ......$V$ होगा