निम्न चित्र में एक इलेक्ट्रॉन को $A$ से $B$ के अनुदिश चलाने में विद्युत क्षेत्र के द्वारा किया गया कार्य $6.4 \times {10^{ - 19}}J$ है। यदि ${\phi _1}\;$ एवं ${\phi _2}$ समविभवी सतह हैं, तब विभवान्तर $({V_C} - {V_A})$ ......$V$ होगा
$-4$
$4$
$0$
$64$
एक त्रिज्या $R$ तथा एकसमान धनात्मक आवेश घनत्व (positive charge density) $\sigma$ की चक्रिका को $x y$ तल पर रखा गया है और इसका केंद्र मूल बिंदु पर है। कूलाम्ब विभव $z$ अक्ष पर $V(z)=\frac{\sigma}{2 \epsilon_0}\left(\sqrt{R^2+z^2}-z\right)$ है। एक कण जिसका धनात्मक आवेश $q$ है को प्रारंभ में विरामावस्था में $z$ अक्ष पर $z=z_0$ तथा $z_0>0$ स्थिति पर रखा जाता है। इसके अतिरिक्त एक कण पर उध्वार्धर (vertical) बल $\vec{F}=-c \hat{k}$ लगता है, जहाँ $c>0$ है। $\beta=\frac{2 c \epsilon_0}{q \sigma}$ लें। निम्न में से कौन सा (से) कथन सही है (हैं)।
$(A)$ $\beta=\frac{1}{4}$ तथा $z_0=\frac{25}{7} R$ के लिए कण मूल बिंदु (origin) पर पहुँचता है।
$(B)$ $\beta=\frac{1}{4}$ तथा $z_0=\frac{3}{7} R$ के लिये कण मूल बिंदु पर पहुँचता है।
$(C)$ $\beta=\frac{1}{4}$ तथा $z_0=\frac{R}{\sqrt{3}}$ के लिए कण $z=z_0$ पर वापस आता है।
$(D)$ $\beta>1$ तथा $z_0>0$ के लिये कण हमेशा मूल बिंदु पर पहुँचता है।
$m$ द्रव्यमान के एक बिन्दु आवेश $q$ को $\ell$ लम्बाई की एक डोरी द्वारा ऊर्ध्वाधर रूप से लटकाया जाता है। अब द्विध्रुव आघूर्ण $\overrightarrow{ p }$ के एक बिन्दु द्विध्रुव को अनन्त से $q$ की ओर इस प्रकार लाया जाता है कि आवेश दूर गति करता है। द्विध्रुव की दिशा, कोणों तथा दूरियों सहित निकाय की अन्तिम साम्य स्थिति नीचे चित्र में दर्शायी गई है। यदि द्विध्रुव को इस स्थिति तक लाने में किया गया कार्य $N \times( mgh )$ है, जहाँ $g$ गुरूत्वीय त्वरण है, जब $N$ का मान. . . . . . . है। (ध्यान दीजिये की बिन्दु द्रव्यमान को साम्यावस्था में बनाए रखते हुए तीन समतलीय बलों के लिए, $\frac{ F }{\sin \theta}$ सभी बलों के लिए समान है, जहाँ $F$ कोई एक बल है तथा $\theta$ अन्य दो बलों के मध्य कोण है।)
निम्न चित्र में एक बिन्दु आवेश को बिन्दु $P$ से $A$, $B$ तथा $C$ तक लाने में कार्य क्रमश: $W_A$, $W_B$ तथा $W_c$ ,है, तब
चार सर्वसम आवेश प्रत्येक का मान $ + \,50\,\mu C$ है, $2\,m$ भुजा वाले वर्ग के चारों कोनों पर एक-एक आवेश रखा जाता है। $ + \,50\,\mu C$ के एक अन्य आवेश को अनन्त से वर्ग के केन्द्र तक लाने के लिये आवश्यक बाह्य ऊर्जा.....$J$ होगी
(दिया गया है $\frac{{\rm{1}}}{{{\rm{4}}\pi {\varepsilon _{\rm{0}}}}} = 9 \times {10^9}\,\frac{{N{m^2}}}{{{C^2}}}$)
धातु के एक गोले पर आवेश $10\,\mu C$ है। एक एकांक ऋणात्मक आवेश को गोला $A$ से $B$ तक लाया जाता है जो धातु के गोले से दोनों ओर $100$ सेमी दूर है। परन्तु $A$ गोले के पूर्व में तथा $B$ गोले के पश्चिम में है। इस क्रिया में किया गया कार्य ........$joule$ होगा