यदि ऊष्मा क्षय को नगण्य माने, तब $100^o C$ ताप वाले जल में $100^o C$ ताप वाली $x$ ग्राम भाप के संघनित होने पर मुक्त ऊष्मा द्वारा $0^o C$ ताप वाली $y$ ग्राम बर्फ को $100^o C$ ताप वाले जल में रूपान्तरित किया जाता है। तब अनुपात $y : x$ है लगभग
$1:1$
$2.5 : 1$
$2:1$
$3:1$
किसी वस्तु के ताप को $1 ^o C$ से बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा कहलाती है
$50\, K$ पर द्रव ऑक्सीजन को $300\, K$ तक एक $1$ वायुमंडलीय स्थिर दाब पर गर्म किया जाता है। यदि गर्म करने की दर स्थिर है तो, निम्नांकित में से कौन सा ग्राफ (आलेख) समय के साथ ताप के परिवर्तन को प्रदशित करता है ?
एक घात्विक छड़ को $0°C$ से $100°C$ तक गर्म करने पर इसकी लम्बाई $0.19\, cm$ से बढ़ जाती है, तो धातु का आयतन प्रसार गुणांक है
शीशे की एक गोली नियत वेग $v$ से चलकर लक्ष्य से टकराकर तुरन्त रूक जाती है और इसका संपूर्ण द्रव्यमान $m$ पिघल जाता है, इसकी विशिष्ट ऊष्मा $S$, प्रारम्भिक ताप $25°C,$ गलनांक $475°C$ और गुप्त ऊष्मा $L$ है, तो वेग $v$ की गणना के लिये सही व्यंजक है
स्पष्ट कीजिए कि क्यों
$(a)$ अधिक परावर्तकता वाले पिण्ड अल्प उत्सर्जक होते हैं।
$(b)$ कंपकंपी वाले दिन लकड़ी की ट्रे की अपेक्षा पीतल का गिलास कहीं अधिक शीतल प्रतीत होता है।
$(c)$ कोई प्रकाशिक उत्तापमापी (उच्च तापों को मापने की युक्ति), जिसका अंशांकन किसी आदर्श कृष्णिका के विकिरणों के लिए किया गया है, खुले में रखे किसी लाल तप्त लोहे के टुकड़े का ताप काफी कम मापता है, परन्तु जब उसी लोहे के टुकड़े को भट्ठी में रखते हैं, तो वह ताप का सही मान मापता है।
$(d)$ बिना वातावरण के पृथ्वी अशरणीय शीतल हो जाएगी।
$(e)$ भाप के परिचालन पर आधारित तापन निकाय तप्त जल के परिचालन पर आधारित निकायों की अपेक्षा भवनों को उष्ण बनाने में अधिक दक्ष होते हैं।