रुद्धोष्म प्रसार में
$\Delta U =$ शून्य
$\Delta U = $ ऋणात्मक
$\Delta U = $ धनात्मक
$\Delta W = $ शून्य
एक इंजिन, $20^{\circ} C$ ताप एवं $1$ वायुमंडलीय दाब पर $5$ मोल हवा लेकर मूल आयतन का $\frac{1}{10}$ रूद्धोष्म रूप से संपीड़ित करता है। हवा को दृढ़ अणुओं से बना द्विपरमाण्विक आदर्श गैस मानते हुए इस प्रक्रिया में आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन $XKJ$ है। $X$ का मान निकटतम पूर्णांक में है
रुदोष्म प्रक्रम में गैस की अवस्था ${P_1},{V_1},{T_1}$ से ${P_2},{V_2},{T_2}$ तक परिवर्तित हो जाती है। निम्न में से कौनसा सम्बंध सत्य है
किसी गैस की आन्तरिक ऊर्जा बढ़ जाएगी जब उसका
एक आदर्श एक परमाणविक गैस के एक मोल निम्नलिखित चार उत्क्रमणीय प्रक्रियाओं से गुजरता है;
चरण $1$ - पहले रुद्रोष्म विधि से आयतन को $8.0 \,0m ^3$ से $1.0 \,m ^3$ तक संपीडित किया ज्ञाता है ।
चरण $2$ - तद्पथात आयतन को $T_1$ तापमान पर समतापीय तरीके से $10.0 \,m ^3$ तक विस्तारित किया जाता है ।
चरण $3$ - तद्पध्धात आयतन को रुद्रोप्म विधि से $80.0 \,m ^3$ तक विस्तारित किया जाता है ।
चरण $4$ - तद्पश्थात आयतन को $T_2$ तापमान पर समतापीय तरीके से $8.0 \,m ^3$ तक संपीडित किया जाता है । तब $T_1 / T_2$ है
माना एक मोल हीलियम गैस एक पात्र में प्रारम्भिक दाब $P _1$ व आयतन $V _1$ पर परिबद्ध है। यह समतापीय रूप से आयतन $4 V _1$ तक प्रसारित होती है। इसके बाद यह रुद्धोष्म रूप से प्रसारित होती है तथा इसका आयतन $32 V _1$ हो जाता है।
समतापीय तथा रुद्धोष्म प्रसार प्रक्रमों के दौरान गैस द्वारा किया गया कार्य $W_{\text {iso }}$ तथा $W_{\text {adia, }}$ है। यदि अनुपात $\frac{ W _{\text {iso }}}{ W _{\text {adia }}}$ $= f \ln 2$ है, तब $f$ का मान . . . . .है।
$=f \ln 2$ है, तब $f$ का मान. . . . .है।