वह प्रक्रम जिसमें ऊष्मा का निकाय से आदान-प्रदान नहीं होता, कहलाता है
समआयतनिक
समदाबीय
समतापीय
रुद्धोष्म
रुद्धोष्म प्रक्रम में निकाय एवं परिवेश के बीच कोई ऊष्मा स्थानान्तरण नहीं होता है
एक आदर्श गैस, जिसका घनत्व $\rho=0.2 kg m ^{-3}$ है, एक $h$ ऊँचाई की चिमनी के निचले सिरे से $\alpha=0.8 kg s ^{-1}$ की दर से प्रवेश करती है और ऊपर के सिरे से बाहर निकलती है, जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। चिमनी का अनुप्रस्थ (cross-sectional) क्षेत्रफल निचले सिरे पर $A_1=0.1 m ^2$ और उपरी सिरे पर $A_2=0.4 m ^2$ है। गैस का दाब व ताप निचले सिरे पर क्रमशः $600 Pa$ और $300 K$ है जबकि ऊपरी सिरे पर गैस का ताप $150 K$ है। चिमनी ऊष्मा कुचालक (heat insulated) है ताकि गैस रूधोष्म प्रक्रम (adiabatic process) से प्रसारित (expand) होती है। $g=10 ms ^{-2}$ तथा गैस विशिष्ट ऊष्माओं का अनुपात (ratio of specific heats) $\gamma=2$ मान लें। वायुमंडलीय (atmospheric) दाब नगण्य है।
निम्न में से कौन सा (से) कथन सही है (हैं)।
जब गैस का रुद्धोष्म प्रसार होता है
${27^o}C$ ताप एवं $1$ वायुमण्डल दाब पर एक आदर्श गैस को रुद्धोष्म रूप से संपीड़ित करके इसका दाब प्रारम्भिक दाब का $8$ गुना कर दिया जाता है। तब इसका अन्तिम ताप ……. $^oC$ है $(\gamma = 3/2)$
कक्षीय तापमान पर एक दृढ़ द्विपरमाणुक आदर्श गैस एक रूद्धोष्म प्रक्रम से गुजरती है। इस प्रक्रम के लिए तापमान और आयतन में, $TV ^{ x }=$ नियतांक सम्बन्ध है तो $x$ होगा।
यहाँ दो कथन दिये गये है-
कथन$-I$ : आदर्श गैस की $\mu$ मात्रा, एक अवर्था $\left( P _1, V _1, T _1\right)$ से दूसरी अवस्था $\left( P _2, V _2, T _2\right)$ में रुद्धोष्म प्रक्रम में परिवर्तित होती है। तब किया गया कार्य $W =\frac{1 R \left( T _2- T _1\right)}{1-\gamma}$ है, जहाँ $\gamma=\frac{ C _{ P }}{ C _{ V }}$ तथा $R =$ सार्वत्रिक गैस नियंतांक है ।
कथन$-II$ : उपरोक्त कथन में, जब गैस पर कार्य किया जाता है, तब गैस का तापमान बढ़ेगा।
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