निम्न चित्र में, एक तरंगाग्र $AB$ जो हवा में गति कर रहा है, किसी काँच के तल $XY$ पर आपतित होता है। इसकी स्थिति $CD$, काँच से अपवर्तन के पश्चात् $A$ व $D$ पर अभिलम्ब के साथ प्रदर्शित है। काँच का हवा ($\mu = 1$) के सापेक्ष अपवर्तनांक बराबर है

172-33

  • A

    $\frac{{\sin \theta }}{{\sin \theta '}}$

  • B

    $\frac{{\sin \theta }}{{\sin \phi '}}$

  • C

    $\frac{{\sin \phi '}}{{\sin \theta }}$

  • D

    $\frac{{AB}}{{CD}}$

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हाइगन तरंग सिद्धांत से ज्ञात हो सकता है

निम्नलिखित दशाओं में प्रत्येक तरंगाग्र की आकृति क्या है?

$(a)$ किसी बिंदु स्रोत से अपसरित प्रकाश।

$(b)$ उत्तल लेंस से निर्गमित प्रकाश, जिसके फ़ोकस बिंदु पर कोई बिंदु स्रोत रखा है।

$(c)$ किसी दूरस्थ तारे से आने वाले प्रकाश तरंगाग्र का पृथ्वी द्वारा अवरोधित (intercepted) भाग।

किसी बिन्दुवत् स्रोत से निकलने वाली अपसारी किरणों से बनने वाला तरंगाग्र होता है

हाइगन की तरंगाग्र रचना से क्या नहीं समझाया जा सकता

  • [AIPMT 1988]

प्रकाश का तरंग सिद्धांत किसने दिया