द्वितीयक तरंगिकाओं की कल्पना सर्वप्रथम दी थी
न्यूटन ने
हाइगेन ने
मैक्सवेल ने
फ्रेनेल ने
किसी बिन्दुवत् स्रोत से निकलने वाली अपसारी किरणों से बनने वाला तरंगाग्र होता है
तरंगाग्र से तात्पर्य है
आप मूल पाठ में जान चुके हैं कि हाइगेंस का सिद्धांत परावर्तन और अपवर्तन के नियमों के लिए किस प्रकार मार्गदर्शक है। इसी सिद्धांत का उपयोग करके प्रत्यक्ष रीति से निगमन (deduce) कीजिए कि समतल दर्पण के सामने रखी किसी वस्तु का प्रतिबिब आभासी बनता है, जिसकी दर्पण से दूरी, बिब से दर्पण की दूरी के बराबर होती है।
कणिका सिद्धांत के आधार पर प्रकाश में विभिन्न वणी का कारण है
हाइगेन के तरंग सिद्धांत द्वारा स्पष्ट नहीं कर सकते हैं