चुम्बकीय बल रेखायें
हमेशा एक-दूसरे को काटती हैं
हमेशा बंद वक्र बनाती हैं
चुम्बक के ध्रुव से बहुत दूर इकट्ठी होने लगती हैं
निर्वात् में होकर नहीं गुजरती हैं
$\mathrm{L}$ लम्बाई की एक लौह छड़ चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण $\mathrm{M}$ है। यह लम्बाई के मध्य से इस प्रकार मोड़ा गया है कि दोनों भुजाएँ एक दूसरे के साथ $60^{\circ}$ का कोण बनाती है। इस नई चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण है:
विलगित (isolated) बिन्दु से $d $ दूरी पर $m $ इकाई ध्रुव प्राबल्य का वायु में चुम्बकीय प्रेरण का मान होगा
दो चुम्बक $A$ व $B$ सर्वसम हैं तथा उन्हें चित्रानुसार व्यवस्थित किया गया है। उनकी लम्बाई उनके मध्य दूरी की तुलना में नगण्य है। दोनों चुम्बकों के मध्य बिन्दु $P$ पर एक चुम्बकीय सुई रखी गयी है जो चुम्बकों के प्रभाव में $\theta $ कोण से विक्षेपित हो जाती है। दूरियाँ ${d_1}$ व ${d_2}$ का अनुपात होगा
एक लम्बी चुम्बकीय सुई जिसकी लम्बाई $2\,L$ चुम्बकीय आघूर्ण $M$ एवं ध्रुव प्राबल्य $m$ इकाई है, मध्य में से दो भागों में टूट जाती है । प्रत्येक टुकड़े का चुम्बकीय आघूर्ण एवं ध्रुव प्राबल्य है
किसी चुम्बक के केन्द्र से $R $ दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता समानुपाती होती है