किसी ग्रह पर एक पिण्ड को $8 \,m$ ऊँचाई से स्वतंत्रतापूर्वक गिराया जाता है तो यह $2\, sec$ में ग्रह तल पर आ जाता है। इस ग्रह पर,$1\,m $ लम्बाई वाले सरल लोलक का आवर्तकाल .... $\sec$ होगा
$3.14$
$16.28$
$1.57$
उपरोक्त में से कोई नहीं
एक प्रयोग में, $1 \;m$ लम्बाई की एक सरल दोलक का आवर्त काल निकालने हेतु उसको $r _{1}$ तथा $r _{2}$ त्रिज्याओं के अलग-अलग गोलाकार लोलक से जोड़ा जाता है। दोनों गोलाकार लोलकों के द्रव्यमान वितरण एक समान हैं। यदि आवर्तकालों का सापेक्ष अंतर $5 \times 10^{-4} \;s$ पाया गया हो तो उनकी त्रिज्याओं में अन्तर, $\left|r_{1}-r_{2}\right|$ का निकटतम मान होगा
“एक सरल लोलक सरल आवर्त गति कर रहा है” इसको प्रदर्शित करने के लिए यह मानना आवश्यक है। कि
एक खोखले गोले को उसमें बने हुए एक छिद्र द्वारा पानी से भरा जाता है। तत्पश्चात् उसे एक लम्बे धागे द्वारा लटकाकर दोलायमान किया जाता है। जब तल में स्थित छिद्र से पानी धीरे-धीरे बाहर निकलता है, तो गोले का दोलनकाल
किसी स्थान पर किसी सरल लोलक का आवर्तकाल $T _{0}$ है। यदि इस लोलक की लंबाई घटाकर इसकी मूल लंबाई की $\frac{1}{16}$ गुनी कर दी जाए, तो परिवर्तित आवर्तकाल होगा।
अचर लम्बाई के सरल लोलक का पृथ्वी की सतह पर आवर्तकाल $T$ है। इसका आवर्तकाल खदान के भीतर होगा