$S.I. $ पद्धति में चुम्बकशीलता का मात्रक है

  • A

    ऐम्पियर मीटर$^{ - 1}$

  • B

    ऐम्पियर मीटर

  • C

    हेनरी मीटर$^{ - 1}$

  • D

    कोई  मात्रक नहीं, यह एक मात्रकहीन राशि है

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$3.0 \,A-m^2$ चुम्बकीय आघूर्ण के एक छड़ चुम्बक को एकसमान चुम्बकीय प्रेरण $2 \times 10^{-5} \,T$ में रखा गया है। यदि चुम्बक का प्रत्येक ध्रुव $6 \times 10^{-4}\, N$  का बल अनुभव करता है तो चुम्बक की लम्बाई....$m$  है

चुम्बक को पूरी तरह विचुम्बकित किया जा सकता है

भूमध्य रेखा पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का मान लगभग $4 \times 10^{-5}\; T$ है। पृथ्वी की त्रिज्या $6.4 \times 10^{6}\; m$ है। तब पृथ्वी का द्विध्रुव आघूर्ण लगभग इस कोटि का होगा :

  • [JEE MAIN 2014]

$(a)$ चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ ( हर बिंदु पर) वह दिशा बताती हैं जिसमें ( उस बिंदु पर रखी) चुंबकीय सुई संकेत करती है। क्या चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ प्रत्येक बिंदु पर गतिमान आवेशित कण पर आरोपित बल रेखाएँ भी हैं?

$(b)$ एक टोरॉइड में तो चुंबकीय क्षेत्र पूर्णत: क्रोड के अंदर सीमित रहता है, पर परिनालिका में ऐसा नहीं होता। क्यों?

$(c)$ यदि चुंबकीय एकल ध्रुवों का अस्तित्व होता तो चुंबकत्व संबंधी गाउस का नियम क्या रूप ग्रहण करता?

$(d)$ क्या कोई छड़ चुंबक अपने क्षेत्र की वजह से अपने ऊपर बल आधूर्ण आरोपित करती है? क्या किसी धारावाही तार का एक अवयव उसी तार के दूसरे अवयव पर बल आरोपित करता है।

$(e)$ गतिमान आवेशों के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होते हैं। क्या कोई ऐसी प्रणाली है जिसका चुंबकीय आधूर्ण होगा, यद्यपि उसका नेट आवेश शून्य है?

चुम्बकीय विभव के लिये कुछ समविभवी सतहें निम्न चित्र में प्रदर्शित हैं। किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान होगा