एक छड़ चुम्बक की चुम्बकीय बल रेखायें होती हैं
दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर
उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओ
छड़ चुम्बक को काटती हुयी
चुम्बक के अंदर दक्षिण ध्रुव से उत्तरी ध्रुव एवं चुम्बक से बाहर उत्तरी ध्रुव से दक्षिण ध्रुव की ओर
$M, $ चुम्बकीय आघूर्ण के एक छोटे से चुम्बकीय द्विधुव के कारण निरक्षीय रेखा पर केन्द्र से $ r$ दूरी पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र होता है ($M.K.S. $ पद्धति में)
एक परिनालिका में पास-पास लपेटे गए $800$ फेरे हैं, तथा इसका अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल $2.5 \times 10^{-4} \,m ^{2}$ है और इसमें $3.0 \,A$ धारा प्रवाहित हो रही है। समझाइए कि किस अर्थ में यह परिनालिका एक छड़ चुंबक की तरह व्यवहार करती है? इसके साथ जुड़ा हुआ चुंबकीय आधूर्ण कितना है?
दण्ड चुम्बक की चुम्बकीय बल रेखाएँ एक-दूसरे को नहीं काटतीं क्योंकि
एक छोटे छड़ चुम्बक के अक्ष पर स्थित बिन्दु $x$ पर चुम्बकीय क्षेत्र तीव्रता उसी चुम्बक के निरक्षीय रेखा पर स्थित बिन्दु $ y $ पर क्षेत्र तीव्रता के बराबर है । चुम्बक के केन्द्र से $x$ और $ y$ की दूरियों का अनुपात है
दो चुम्बकों को चित्रानुसार समकोण पर जोड़ा गया हैं। चुम्बक $1$ का चुम्बकीय आघूर्ण, चुम्बक $2$ के चुम्बकीय आघूर्ण का $3$ गुना है। इस व्यवस्था को इस प्रकार कीलकित किया गया है कि यह क्षैतिज तल में घूमने के लिए स्वतंत्र है। संतुलन की स्थिति में चुम्बक $ 1$ चुम्बकीय याम्योत्तर से किस कोण पर होगा