किसी चालक गोले के अन्दर विद्युत विभव

  • A

    केन्द्र से सतह की ओर बढ़ता है

  • B

    केन्द्र से सतह की ओर घटता है

  • C

    केन्द्र से सतह की ओर नियत रहता है

  • D

    सभी जगह शून्य रहता है

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पतले तार के दो छल्ले, जिनमें प्रत्येक की त्रिज्या $R$ है, अपने अक्षों को संपाती रखते हुए एक दूसरे से $d$ दूरी पर स्थित हैं। इन दोनों छल्लों के आवेश $ + q$ तथा $ - q$ हैं। दोनों छल्लों के केन्द्रों के बीच विभवान्तर है

  • [AIEEE 2005]

चाँदी (परमाणु संख्या = $47$) के नाभिक की त्रिज्या $3.4 \times {10^{ - 14}}\,m$ है। नाभिक की सतह पर विद्युत विभव होगा $(e = 1.6 \times {10^{ - 19}}\,C)$

अलग-अलग अर्धव्यासों के दो गोलों को समान आवेश दिया जाता है। विभव

एक चालक गोले की त्रिज्या $R$ है। इस पर $Q$ आवेश है। गोले के केन्द्र पर विधुत विभत तथा विधुत क्षेत्र क्रमशः हैं

  • [AIPMT 2014]

$N$ एकसमान गोलीय बूँदें जो समान विभव $V$ तक आवेशित है, मिलकर एक बड़ी बूँद बनाती है। नई बूँद का विभव होगा