एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल $A$ हैं और प्लेटों के बीच दूरी $d$ हैं। प्लेटों के बीच स्थान को एक परावैद्युत से भरा गया है जिसकी विद्युतशीलता एक प्लेट पर $\varepsilon_{1}$ से दूसरी प्लेट पर $\varepsilon_{2}$ तक रेखिक रूप में परिवर्तित होती है। संधारित्र की धारिता हैं :
${ \varepsilon _0}\left( {{ \varepsilon _1} + { \varepsilon _2}} \right)A/d$
${ \varepsilon _0}\left( {{ \varepsilon _2} + { \varepsilon _1}} \right)A/2d$
${ \varepsilon _0}\,A/\left[ {d\,\ln \left( {{ \varepsilon _2}/{ \varepsilon _1}} \right)} \right]$
${ \varepsilon _0}\left( {{ \varepsilon _2} - { \varepsilon _1}} \right)A/\left[ {d\,\ln \left( {{ \varepsilon _2}/{ \varepsilon _1}} \right)} \right]$
एक संधारित्र के भीतर $K = 3$ का परावैद्युत पदार्थ भरने पर आवेश ${Q_0}$, वोल्टता ${V_0}$ और विद्युत क्षेत्र ${E_0}$ है। यदि परावैद्युत पदार्थ को एक अन्य पदार्थ से प्रतिस्थापित करें जिसका $K = 9$ है तो आवेश, वोल्टता और क्षेत्र का मान होगा क्रमश:
दिये गये चित्र के अनुसार, समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के बीच मिश्र परावैद्युत माध्यम रखे हैं। इस प्रकार बने संधारित्रों की धारिता का व्यंजक होगा
एक संधारित्र, जिसकी प्लेटों के मध्य वायु है, को इस प्रकार आवेशित किया जाता है कि उसकी प्लेटों के बीच विभवान्तर $100$ वोल्ट हो जाये। अब यदि प्लेटों के बीच का स्थान परावैद्युतांक $10$ वाले परावैद्युत माध्यम से भर दिया जाये, तो प्लेटों के बीच विभवातंर .......वोल्ट होगा
वायु से भरे दो समान्तर प्लेट संधारित्रों, जिनकी धारिताएँ $C$ तथा $nC$ हैं, के सामन्तर संयोजन को $V$ वोल्टता की बैटरी से जोड़ा गया है। जब संधारित्र पूर्णतया आवेशित हो जाते हैं तो बैटरी को हटा दिया जाता है और तत्पश्चात पहले संधारित्र की दोनों प्लेटों के बीच परावैधुतांक $K$ का परावैधुत पदार्थ रख देते हैं। संयुक्त संयोजन के लिये नया विभवान्तर है।
धारिता $C = 10\,\mu F$ वाला एक वायु-संधारित्र $12\,V$ की स्थिर वोल्टता वाली बैटरी से संबद्ध किया गया है अब इसकी पट्टिकाओं के बीच के स्थान में परावैद्युतांक $5$ वाला द्रव भर दिया जाता है। बैटरी से संधारित्र में जाने वाले नये आवेश का मान ........$\mu C$ होगा