हाइगन की तरंगाग्र रचना से क्या नहीं समझाया जा सकता
अपवर्तन
परावर्तन
विवर्तन
वर्णक्रम की उत्पत्ति
हाइगेन के द्वितीयक तरंगिकाओं के सिद्धान्त का उपयोग कर सकते हैं
निम्न चित्र में, एक तरंगाग्र $AB$ जो हवा में गति कर रहा है, किसी काँच के तल $XY$ पर आपतित होता है। इसकी स्थिति $CD$, काँच से अपवर्तन के पश्चात् $A$ व $D$ पर अभिलम्ब के साथ प्रदर्शित है। काँच का हवा ($\mu = 1$) के सापेक्ष अपवर्तनांक बराबर है
किसी बिन्दुवत् स्रोत से निकलने वाली अपसारी किरणों से बनने वाला तरंगाग्र होता है
हाइगेन के तरंग सिद्धांत द्वारा स्पष्ट नहीं कर सकते हैं
किसी तरंग के तरंगाग्र की दिशा, तरंग गति के