${R_1}$ एवं ${R_2}$ त्रिज्या के दो गोले, जिन पर आवेश क्रमश: ${Q_1}$ और ${Q_2}$ है, परस्पर संबंधित किये गये हैं, तब निकाय की ऊर्जा में
कोई परिवर्तन नहीं होगा
वृद्धि होगी
सदैव कमी होगी
${Q_1}{R_2} = {Q_2}{R_1}$ होने तक कमी होगी
एक समांतर पट्टीकीय संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी $d$ और प्लेटों का अनुप्रस्थ परिच्छेदित क्षेत्रफल $A$ है। इसे आवेशित कर प्लेटों के बीच का अचर विधुतीय क्षेत्र $E$ बनाना है। इसे आवेशित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा होगी
$100$ $\mu F$ धारिता के संधारित्र को $8 \times {10^{ - 18}}$ कूलॉम आवेश देने पर किया गया कार्य होगा
$n$ समरूप संधारित्र समान्तर क्रम में जुड़े हुए हैं और $V$ विभव तक आवेशित हैं। अब इनको अलग करके श्रेणीक्रम में जोड़ें तो संयोजन की कुल ऊर्जा और विभवान्तर होगा
एक $10\,pF$ धारिता के संधारित्र को $50\, V$ बैटरी से जोड़ा गया है। संधारित्र के अन्दर संचित विद्युत स्थितिज ऊर्जा होगी
$60 pF$ धारिता के एक संधारित्र को $20 V$ के स्त्रोत से पूरा आवेशित किया जाता है। तत्तपश्चात् इसे स्त्रोत से हटाकर $60 pF$ के एक दूसरे अनावेशित संधारित्र से पार्श्व संबंधन (parallel connection) में जोड़ा जाता है। जब आवेश पूरी तरह से दोनों संधारित्रों में वितरित हो जाये तो इस प्रक्रिया में स्थिर वैधुत ऊर्जा की क्षति $nJ$ में होती है।