एक लघु चुम्बक की अक्ष पर चुम्बक के केन्द्र से $x$ दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता $200$ गॉस है । उतनी दूरी पर निरक्षीय स्थिति में चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता.....गॉस होगी
$100$
$400 $
$50$
$200 $
यदि देा चुम्बकीय ध्रुवों की ध्रुव प्राबल्य एवं इनके बीच की दूरी दोगुने कर दिये जायें तो इनके मध्य कार्यरत बल
एक छोटे छड़ चुम्बक का द्विध्रुव आघूर्ण $1.25 $ ऐम्पियर-मीटर $^{2}$ है, इसकी अक्ष पर चुम्बक के केन्द्र से $0.5 $ मीटर की दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र होगा
किसी चुम्बक को लौह-चूर्ण में रखकर उठाया जाता है तो अधिकतम चूर्ण रहता है
$1$ सेमी लंबाई के दो छोटे दंड चुम्बक जिनके चुंबकीय आघूर्ण क्रमशः $1.20\, Am ^{2}$ तथा $1.00\, Am ^{2}$ हैं, की एक क्षैतिज टेबल पर एक-दूसरे के समानांतर इस प्रकार रखा जाता है कि उनके उत्तरी ध्रुव दक्षिण दिशा की ओर हो तथा इनके मध्य दूरी $20$ सेमी है, तथा इनकी चुंबकीय विषुवत् रेखा उभयनिष्ठ हैं। इनके केन्द्रो को मिलाने वाली रेखा के मध्यबिन्दु $O$ पर परिणामी क्षैतिज चुंबकीय प्रेरण का मान होगा, (पृथ्वी के चुंबकीय प्रेरण का क्षैतिज घटक $3.6 \times 10^{-5}$ वेबर/मी $^{2}$ हैं।)
$\mathrm{L}$ लम्बाई की एक लौह छड़ चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण $\mathrm{M}$ है। यह लम्बाई के मध्य से इस प्रकार मोड़ा गया है कि दोनों भुजाएँ एक दूसरे के साथ $60^{\circ}$ का कोण बनाती है। इस नई चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण है: