एक रेडियोऐक्टिव पदार्थ से उत्सर्जित बीटा कणों की संख्या उसके द्वारा उत्सर्जित ऐल्फा कणों की संख्या से दोगुनी है। प्राप्त हुआ पुत्री पदार्थ मूल पदार्थ का
सम-अवयवी होगा।
सम न्यूट्रानी होगी।
समस्थानिक होगा।
समभारक होगा।
एक रेडियोएक्टिव पदार्थ का क्षय नियतांक $\beta $ है। उसकी अर्द्ध-आयु तथा माध्य आयु क्रमश: हैं
$(log_e\, 2 =ln\, 2)$
एक रेडियाऐक्टिव समस्थानिक की अर्धायु $T$ वर्ष है। कितने समय के बाद इसकी ऐक्टिवता प्रारंभिक ऐक्टिवता की $(a)$ $3.125 \%$ तथा $(b)$ $1 \%$ रह जाएगी।
एक रेडियोएक्टिव नाभिक- $A$ जिसकी अर्द्ध -आयु $T$ है, का क्षय एक नाभिक- $B$ में होता है। समय $t=0$ पर कोई भी नाभिक- $B$ नहीं है। एक समय $t$ पर नाभिकों $B$ तथा $A$ की संख्या का अनुपात $0.3$ है तो $t$ का मान होगा:
किसी रेडियोसक्रिय पदार्थ की अर्द्ध-आयु $(T)$ तथा क्षयांक $(\lambda )$ के बीच निम्न सम्बन्ध होता है
दो घण्टे के पश्चात् एक निश्चित रेडियोएक्टिव समस्थानिक की प्रारम्भिक मात्रा का $\frac{1}{16}$ वां भाग शेष रह जाता है। इस समस्थानिक की अर्द्ध-आयु है