जब गैस का रुद्धोष्म प्रसार होता है

  • A

    प्रसार के लिए कोई ऊर्जा नहीं लगती है

  • B

    ऊर्जा की आवश्यकता रहती है, और यह ऊर्जा पात्र की दीवारों द्वारा प्राप्त होती है

  • C

    गैस की आन्तरिक ऊर्जा का उपयोग कार्य के लिए होता है

  • D

    ऊर्जा के संरक्षण के सिद्धांत का पालन नहीं होता है

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गैस के दो मोल में रुद्धोष्म परिवर्तन द्वारा गैस की आन्तरिक ऊर्जा $2$ जूल से कम हो जाती है, प्रक्रम में गैस पर किया गया कार्य ....... $J$ होगा

एक आदर्श गैस का दाब व आयतन $\mathrm{PV}^{3 / 2}=\mathrm{K}$ (नियतांक) द्वारा सम्बन्धित है। गैस को अवस्था $A\left(P_1, V_1, T_1\right)$ से अवस्था $B\left(P_2, V_2, T_2\right)$ तक ले जाने में कुल किया गया कार्य है :

  • [JEE MAIN 2024]

गैस को रुद्धोष्म रीति से संपीडित करने पर, संपीडन के दौरान इसकी विशिष्ट ऊष्मा होगी

एक गैस ($\gamma  = 1.3)$ एक कुचालक पात्र में भरी हुई है। इस पात्र में दाब ${10^5}\,N/{m^2}$ है एवं एक पिस्टन पात्र में लगा हुआ है। पिस्टन को अचानक दबाकर गैस के आयतन को प्रारम्भिक आयतन का आधा कर दिया जाता है। गैस का अन्तिम दाब होगा

एक आदर्श गैस का जिसका कि प्रारम्भिक ताप $300 K$ है, रुद्धोष्म प्रसारण किया जाता है जिससे उसका आयतन प्रारम्भिक आयतन का दुगना हो जाता है। हाइड्रोजन गैस का अन्तिम ताप होगा $(\gamma  = 1.40)$