$+ Q , q$ तथा $+ Q$ के तीन आवेशों को $x$-अक्ष पर मूलबिन्दु से क्रमश: दूरी $0, d / 2$ तथा $d$ पर रखा गया है। यदि $x =0$ पर रखे $+ Q$ आवेश पर कुल बल शून्य है, तो $q$ का मान होगा :
$-\frac Q2$
$+\frac Q2$
$+\frac Q4$
$-\frac Q4$
दो समरूप चालक गोलों $A$ व $B$ पर समान आवेश हैं। प्रारम्भ में उनके बीच की दूरी उनके व्यासों से बहुत अधिक है तथा उनके बीच बल $F$ है। $C$ इसी तरह का एक तीसरा गोला है जो आवेशहीन है। गोले $C$ को पहले $A$ से स्पर्श कराते हैं, फिर $B$ से स्पर्श कराते हैं और फिर हटा देते हैं। इस प्रकार से $A$ और $B$ के बीच बल का मान होगा
लम्बाई $l$ की दो द्रव्यमानहीन डोरियो द्वारा एक उभयनिष्ठ बिन्दु से दो एकसमान आवेशित गोले लटकाये गये है, जों कि प्रारम्भ में दूरी $d(d$ $ < < l)$ पर अपनें अन्योन्य विकषर्ण के कारण है। दोंनों गोलों से आवेश एक स्थिर दर से लीक होना प्रारम्भ करता है। इसके परिणाम स्वरूप आवेश एक दूसरे की ओर $v$ वेग से गति करना प्रारम्भ करते है। तब दोनों के बीच दूरी $x$ के फलन के रूप में
विद्युत आवेश $Q$ को दो भागों में ${Q_1}$ तथा ${Q_2}$ में विभक्त करके परस्पर $R$ दूरी पर रखा गया है। दोनों के मध्य प्रतिकर्षण का बल अधिकतम होगा, जब
दो इलेक्ट्रॉन एक दूसरे से $1\,\mathop A\limits^o $ की दूरी पर हैं। इनके बीच कूलॉम बल होगा
हाइड्रोजन परमाणु में, $r$ त्रिज्या की कक्षा में एक इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारो ओर चक्कर लगाता है इनके मध्य कूलॉम बल $\vec F$ है:
(जहाँ $K = \frac{1}{{4\pi {\varepsilon _0}}}$)