दो संधारित्र जिनमें प्रत्येक की धारिता $1\,\mu F$ है, समान्तर  क्रम में जुड़े हैं। उनको $200\;volts$ की दिष्ट धारा द्वारा आवेशित करते हैं, उनके आवेशों की कुल ऊर्जा जूल में होगी

  • A

    $0.01$

  • B

    $0.02$

  • C

    $0.04$

  • D

    $0.06$

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एक समांतर पट्टीकीय संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी $d$ और प्लेटों का अनुप्रस्थ परिच्छेदित क्षेत्रफल $A$ है। इसे आवेशित कर प्लेटों के बीच का अचर विधुतीय क्षेत्र $E$ बनाना है। इसे आवेशित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा होगी

  • [AIPMT 2011]

श्रेणी क्रम में जुड़े (संयोजित ) $n_{1}$ संधारित्रों में प्रत्येक की धारिता $C_{1}$ है। इस संयोजन को $4\, V$ विभवान्तर के एक स्त्रोत से आवेशित किया गया है। एक अन्य संयोजन में $n_{2}$ संधारित्रों को, जिनमें प्रत्येक की धारिता $C_{2}$ है, समान्तर (पाश्र्व) क्रम में जोड़कर, $V$ विभवान्तर के एक स्त्रोत से आवेशित किया गया है। यदि इन दोनो संयोजनों में संचित ऊर्जा समान (बराबर) हो तो $C_{1},$ के पदों $C_{2}$ का मान होगा

  • [AIEEE 2012]

एक परिवर्ती संधारित्र को स्थाई रूप से $100$ $V$ की बैटरी से जोड़ा गया है। यदि धारिता $2\,\mu \,F$ से बदलकर $10\,\mu \,F$ कर दी जाये तो ऊर्जा में परिवर्तन है

एक समान्तर प्लेट संधारित्र जिसकी धारिता $(C)$ $14 \,pF$ है, को एक बैटरी से, प्लेटों के मध्य $V =12\, V$ विभवान्तर तक आवेशित किया जाता है। अब बैटरी को हटाकार एक पोर्सलिन की प्लेट $( k =7)$ को प्लेटों के मध्य रखा गया है, तो प्लेट $........\,pJ$ की नियत यांत्रिक ऊर्जा के साथ प्लेटों के मध्य आगे-पीछे दोलन करने लगेगी।

(माना गया कि कोई घर्षण नहीं है)

  • [JEE MAIN 2021]

किसी संधारित्र को एक बैटरी से आवेशित किया जाता है। फिर बैटरी को हटाकर, इस संधारित्र से, समान्तर क्रम में ठीक ऐसा ही एक अन्य अनावेशित संधारित्र जोड़ दिया जाता है। तो, इस प्रकार बने परिणामी निकाय की कुल स्थिर वैधूत ऊर्जा ( पहले संधारित्र की तुलना में) :

  • [NEET 2017]