दो सर्वसम (समरूप) छड़ चुम्बकों को इस प्रकार स्थिर किया गया है कि उनके केन्द्र $d$ दुरी पर है। चित्र में दिखाये गए अनुसार दोनों चुम्बकों के बीच के खाली स्थान के मध्य बिन्दु $O$ से $D$ दुरी पर, बिन्दु $P$ पर एक आवेश $Q$ रखा है। $Q$ आवेश पर बल है

137-26

  • [AIPMT 2010]
  • A

    $OP$ के अनुदिश होगा

  • B

    शून्य

  • C

    $PO$ के अनुदिश होगा

  • D

    कागज के समतल पर लम्ब के अनुदिश होगा

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एक लघु चुम्बक की अक्ष पर चुम्बक के केन्द्र से $x$  दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता $200$  गॉस है । उतनी दूरी पर निरक्षीय स्थिति में चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता.....गॉस होगी

$2$ सेमी लम्बी छड़ चुम्बक के अक्ष के लम्बवत्, विपरीत और उसके केन्द्र से $ x  $ तथा $3x $ दूरियों पर दो बिन्दु $A$ व $B$  स्थित हैं $A$ व $B$ पर चुम्बकीय क्षेत्रों का अनुपात होगा, लगभग

नीचे दिए गए चित्रों में से कई में चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ गलत दर्शायी गई हैं [ चित्रो में मोटी रेखाएँ]। पहचानिए कि उनमें गलती क्या है? इनमें से कुछ में वैध्यूत क्षेत्र रेखाएँ ठीक-ठीक दर्शायी गई हैं। बताइए, वे कौन से चित्र हैं?

भूमध्य रेखा पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का मान लगभग $4 \times 10^{-5}\; T$ है। पृथ्वी की त्रिज्या $6.4 \times 10^{6}\; m$ है। तब पृथ्वी का द्विध्रुव आघूर्ण लगभग इस कोटि का होगा :

  • [JEE MAIN 2014]

एक लम्बी चुम्बकीय सुई  जिसकी लम्बाई  $2\,L$  चुम्बकीय आघूर्ण $M$  एवं ध्रुव प्राबल्य $m$ इकाई  है, मध्य में से दो भागों में टूट जाती है । प्रत्येक टुकड़े का चुम्बकीय आघूर्ण एवं ध्रुव प्राबल्य है