दो सर्वसम (समरूप) छड़ चुम्बकों को इस प्रकार स्थिर किया गया है कि उनके केन्द्र $d$ दुरी पर है। चित्र में दिखाये गए अनुसार दोनों चुम्बकों के बीच के खाली स्थान के मध्य बिन्दु $O$ से $D$ दुरी पर, बिन्दु $P$ पर एक आवेश $Q$ रखा है। $Q$ आवेश पर बल है
$OP$ के अनुदिश होगा
शून्य
$PO$ के अनुदिश होगा
कागज के समतल पर लम्ब के अनुदिश होगा
चुम्बकीय आघूर्ण का मात्रक है
चुम्बकीय आघूर्ण $1.0\, A-m^2$ के दो एकसमान चुम्बकीय द्विध्रुवों के अक्षों को एक-दूसरे के लम्बवत् रखा गया है जिससे उनके केन्द्रों के बीच की दूरी $2\,m$ है । द्विध्रुवों के बीच मध्य बिन्दु पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र होगा
एक चुम्बक की प्रभावकारी लम्बाई $ 31.4 \,cm$ है एवं इसकी ध्रुव सामथ्र्य $0.5 \,Am $ है। यदि इसे अर्द्धवृत्त के रूप में मोड़ दिया जाये तो नया चुम्बकीय आघूर्ण ....$A{m^2}$ होगा
एक छड़ चुम्बक के अन्दर चुम्बकीय बल रेखाएँ
चुंबकीय द्विध्रुव के कारण इसके केन्द्र से $20 \mathrm{~cm}$ की दूरी पर इसकी अक्ष पर स्थित बिन्दु पर चुंबकीय विभव $1.5 \times 10^{-5} \mathrm{Tm}$ है। द्विध्रुव का चुंबकीय आघूर्ण. . . . . . . $\mathrm{Am}^2$ है।
(दिया है: $\frac{\mu_0}{4 \pi}=10^{-7} \mathrm{TmA}^{-1}$ )