चुंबकीय द्विध्रुव के कारण इसके केन्द्र से $20 \mathrm{~cm}$ की दूरी पर इसकी अक्ष पर स्थित बिन्दु पर चुंबकीय विभव $1.5 \times 10^{-5} \mathrm{Tm}$ है। द्विध्रुव का चुंबकीय आघूर्ण. . . . . . . $\mathrm{Am}^2$ है।
(दिया है: $\frac{\mu_0}{4 \pi}=10^{-7} \mathrm{TmA}^{-1}$ )
$6$
$5$
$4$
$12$
$2M $ व $M$ चुम्बकीय आघूर्णों वाले दो छड़ चुम्बकों को एक-दूसरे के लम्बवत् रखकर एक क्रॉस निकाय बनाया गया है, यह क्रॉस निकाय, दोनों चुम्बकों के केन्द्रों से होकर जाने वाले ऊध्र्वाधर अक्ष के परित: घूर्णन के लिये स्वतंत्र है। पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में यह क्रॉस निकाय इस प्रकार से समंजित होता है कि $2M$ चुम्बकीय आघूर्ण वाला चुम्बक, चुम्बकीय याम्योत्तर से $ \Theta $ कोण बनाता है। तब
दो छोटे-छोटे छड़ चुम्बक एक रेखा में $d $ दूरी पर इस प्रकार रखे हैं कि उनके समान ध्रुव एक-दूसरे की ओर हैं । यदि प्रत्येक चुम्बक की लम्बाई $d $ के मुकाबले नगण्य हो, तो दोनों चुम्बकों के बीच बल निम्न के व्युत्क्रमानुपाती होगा
दो समान दण्ड चुम्बकों, जिसके केन्द्र $r $ मीटर दूरी पर हैं, के अक्ष एक ही रेखा पर हों, तब $4.8 \,N $ का बल लगता है। यदि इनके मध्य की दूरी $2r$ कर दी जाये, तो उनके बीच बल का मान .........$N$ कम हो जायेगा
चित्र में दिखाये अनुसार दो समान दंडचुंबक एक दूसरे से कुछ दूरी पर परस्पर लम्बवत रखे हुए हैं। चुम्बकों के चारों ओर का क्षेत्र चार भागों में विभाजित है। यदि कोई उदासीन बिन्दु (neutral point) है, तो वह स्थित है
एक दण्ड चुम्बक उत्तर-दक्षिण दिशा में रखा जाता है। यदि उसका उत्तरी ध्रुव उत्तर की ओर हो तो शून्य तीव्रता वाले बिन्दुओं की दिशा चुम्बक के केन्द्र से किस ओर होगी