त्रिज्या $R$ वाले एक वृत्त के केंद्र पर एक कण स्थित है तथा एक दूसरा कण इसी वृत्त पर किसी बिन्दु $Q$ पर स्थित है। दोनों कण वृत्त पर स्थित किसी बिन्दु $P$ की ओर एक ही समय पर चलना शुरू करते हैं (चित्र देखिए) | दोनों कण शुरू में विरामावस्था में थे और क्रमशः $\overrightarrow{V_1}$ तथा $\overrightarrow{V_2}$ के एकसमान (uniform) वेग से चलते हैं| दोनों कण बिन्दु $P$ पर एक ही समय पर पहुँचते हैं। यदि दोनों के वेगों के बीच का कोण $\theta$ है और $P$ तथा $Q$ केंद्र पर $\phi$ अंतरित कोण बनाते हैं (जैसा कि चित्र में दिखाया गया है), तब
$\tan \frac{\phi}{2}=\cot \theta$
$\tan \phi=\cot \theta$
$\cot \frac{\phi}{2}=\cot \theta$
$\tan \frac{\phi}{2}=\cot \frac{\theta}{2}$
एक बल $K \left[\frac{ x }{\left( x ^2+ y ^2\right)^{3 / 2}} \hat{ i } \frac{ y }{\left( x ^2+ y ^2\right)^{3 / 2}} \hat{ j }\right]$ ( $K$ एक उचित विमा का स्थिरांक है), एक $m$ द्रव्यमान के कण को $( a , 0)$ बिन्दु से $(0, a)$ बिन्दु तक एक $a$ त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर ले जाता है, जिसका केन्द्र $x-y$ तल का मूल बिन्दु है। इस बल द्वारा किया गया कार्य निम्न है :
एक बिजली के पंखे की पंखुड़ियों की लम्बाई उसकी घूणीअक्ष से मापने पर $30 $ सेमी है। यदि पंखा $1200\, rpm$ से घूम रहा है, तो पंखुड़ी की नोक का त्वरण .......... $m/\sec^2$ होगा
$M$ तथा $m$ द्रव्यमान के दो कण क्रमशः $R$ तथा $r$ वृत्त के पथ पर घूमते है। यदि उनके आवर्तकाल समान हो , तो उनके कोणीय वेगों का अनुपात होगा
यदि एक कण नियत चाल से $R$ त्रिज्या के वृत्त पर अर्धवृत्त के बराबर दूरी तय करता है तब
एक कार $R$ त्रिज्या के एकसमान वृतीय पथ पर एकसमान चाल $v$ से गति करते हुए $T$ सेकंड में एक पूरा चक्कर लगाती है। इस दीरान अभिकेन्द्रीय त्वरण का मान $a_c$ है। यदि यह कार एक बड़े वृतीय पथ, जिसकी त्रिज्या $2 R$ है, पर एकसमान चाल से चलती हुए अभिकेन्द्रीय त्वरण $8 a_{ e }$ महसूस करती है, तो इसका आवर्तकाल होगा