दो बिन्दु आवेश $A$ तथा $B$ जिनके परिमाण क्रमश: $+8 \times 10^{-6} C$ तथा $-8 \times 10^{-6} C$ हैं, '$d$' दूरी पर रखे हुयें हैं। यदि आवेशों के मध्य बिन्दु $O$ पर विद्युत क्षेत्र $6.4 \times 10^4 NC ^{-1}$ है, तो बिन्दु आवेशों $A$ तथा $B$ के मध्य दूरी ' $d$ ' $............m$ होगी
$2.0$
$3.0$
$1.0$
$4.0$
ड्यूट्रॉन तथा $\alpha - $कण वायु में $1\,{\mathop A\limits^o }$ की दूरी पर हैं। ड्यूट्रॉन के कारण $\alpha - $ कण पर कार्य करने वाली विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का परिमाण होगा
त्रिज्या $r$ की एक पतले अर्द्ध-वृत्तीय वलय पर धनात्मक आवेश $q$ एकसमान रूप से वितरित है। केन्द्र $O$ पर परिणामी क्षेत्र $\overrightarrow{ E }$ है।
दो बिन्दु आवेश $( + Q)$ तथा $( - 2Q)$ $X-$अक्ष पर मूल बिन्दु से क्रमश: $a$ तथा $2a$ स्थितियों पर स्थिर हैं। अक्ष पर किस स्थिति में परिणामी विद्युत क्षेत्र शून्य होगा
चित्रानुसार छड़ $AB , 120^{\circ}$ पर $R$ त्रिज्या के चाप में मोड़ी जाती है। आवेश $(- Q )$ छड़ $AB$ पर एकसमान रूप से वितरित होता है। वक्रता केन्द्र $O$ पर विधुत क्षेत्र $\overrightarrow{ E }$ क्या होगा ?
$5.0\, \mu C$ आवेश वाला और द्रव्यमान $2 \,g$ का एक सरल दोलक का बॉब तीव्रता $2000\, V / m$ के एक एकसमान क्षैतिज विधुत क्षेत्र में विराम अवस्था पर है। साम्यावस्था में, ऊर्ध्वाधर से दोलक जो कोण बनाएगा, वह है :
$(g=10\, m / s ^{2}$ लें $)$