एक उदासीन धात्विक गोले से जब ${10^{14}}$ इलेक्ट्रॉन हटाये जाते हैं, तो गोले पर आवेश हो जाता है
$16$
$ - 16$
$32$
$ - 32$
दो समरूप आवेशित गोले $A$ एवं $B$, जो एक-दूसरे से एक निश्चित दूरी से विस्थापित है, के बीच $F$ परिमाण का प्रतिकर्षण बल लगता है। समान आकार के एक तीसरे अनावेशित गोले $C$ को गोले $B$ के सम्पर्क में रखकर विलगित किया जाता है तथा इसे $A$ एवं $B$ के मध्यबिन्दु पर रखा जाता है। $C$ गोले पर लगे बल का परिमाण है
विद्युतशीलता की इकाई है
दो एकसमान धात्विक गोले $A$ और $B$ जब हवा में एक निश्चित दूरी पर रखे जाते है तो एक-दूसरे को $F$ बल से प्रतिकर्षित करते हैं। एक और समरूप अनावेशित गोला $C$, पहले $A$ के सम्पर्क में, फिर $B$ के सम्पर्क में और अंत में $A$ और $B$ के मध्य बिन्दू पर रखा जाता है। गोले $C$ द्वारा अनुभव किया बल होगा :
$4\,\mu\,C$ के किसी आवेश को, दो आवेशों में विभाजित किया जाता है। विभाजित आवेशों के बीच की दूरी नियत है। यदि उनके बीच में अधिकतम बल लग रहा है, तो विभाजित आवेशों का परिमाण होगा :
$10^{-4}$ मी. $^2$ अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल वाले एक धातु के पतले तार का प्रयोग करके $30$ सेमी. त्रिज्या का एक छल्ला (रिंग) बनाया गया है। $2 \pi \mathrm{C}$ के एक धन आवेश को छल्ले पर एक समान रूप से वितरित किया गया है तथा $30 \mathrm{pC}$ का दूसरा धन आवेश छल्ले के केन्द्र पर रखा गया है। छल्ले में तनाव . . . . . . .${N}$ है जबकि छल्ले का आकार अपरिवर्तित रहता है।
(गुरूत्व का प्रभाव नगण्य मान कर)
(यदि, $\frac{1}{4 \pi \epsilon_0}=9 \times 10^9 \mathrm{SI}$ मात्रक)