दो दृढ़ पिण्ड $ A $ तथा $ B $ क्रमश: $ {E_A} $ एवं $ {E_B} $ घूर्णन गतिज ऊर्जाओं के साथ घूर्णन करते है। घूर्णन अक्ष के परित: $ A $ व $ B $ के जडत्व आघूर्ण क्रमश: $ {I_A} $ एवं $ {I_B} $ हैं। यदि $ {I_A} = \frac{{{I_B}}}{4} $ तथा $ {E_A} = 100{E_B} $ हो तो $ A $ के कोणीय संवेग $ ({L_A}) $ एवं $B$ के कोणीय संवेग $ ({L_B}) $ का अनुपात है
$25$
$5/4$
$5$
$1/4$
त्रिज्या $R$ का एक समान वलय एक क्षैतिज सतह पर गति $v$ से चलते हुए $h$ ऊँचाई के एक ढाल जो कि $30^{\circ}$ कोण पर झुकी हुई है पर चढ़ता है. पूरी गति के दौरान वलय कहीं भी फिसलता नहीं है. तब $h$ का मान होगा
स्वतन्त्र घूर्णन करते हुए दो पिण्डों $A$ तथा $B$ के जड़त्व आघूर्ण क्रमश: $I_A$ तथा $I_B$ हैं। $I_A>I_B$ तथा उनके कोणीय संवेग बराबर हैं। यदि $K_A$ तथा $K_B$ उनकी गतिज ऊर्जायें हैं, तब
एक गेंद बिना फिसले लुढ़कती है। इसके द्रव्यमान-केंद्र से गुजरने वाले अक्ष के परित: गाइरेशन त्रिज्या $K$ है। यदि गेंद की त्रिज्या $R$ हो तो इसकी घूर्णन ऊर्जा के साथ जुड़ी कुल ऊर्जा का अंश होगा
$2 \mathrm{~kg}$ किग्रा द्रव्यमान का एक ठोस गोला $2240$ जूल गतिज ऊर्जा के साथ एक क्षैतिज तल पर शुद्ध रूप से लुढक रहा है। गोले के द्रव्यमान केन्द्र का वेग______ मी/से. होगा।
लम्बाई $l$ और द्रव्यमान $m$ की एक पतली एकसमान छड़ अपने एक सिरे से गुजर रही क्षैतिज अक्ष पर स्वतंत्र रूप से दोलायमान है। इसकी अधिकतम कोणीय चाल $\omega$ है। इसका द्रव्यमान केन्द्र इस महत्तम ऊँचाई तक उठेगा