द्रव्यमान $50 \mathrm{~kg}$ की एक ठोस वृत्ताकार चकती एक क्षैतिज फर्श के अनुदिश इस तरह लुढ़कती है कि इसके द्रव्यमान केन्द्र की चाल $0.4 \mathrm{~m} / \mathrm{s}$ है। चकती को रोकने के लिए इस पर किये गये कार्य का विशिष्ट (मानक) मान. . . . . . . . . . जूल है।
$3$
$4$
$5$
$6$
$\mathrm{R}$ त्रिज्या तथा $\mathrm{M}$ द्रव्यमान की एक चकती (डिस्क) $v$ चाल से क्षैतिज दिशा में बिना फिसले लुढ़कती है। इसफे बाद यह ऐक चिकनें जानत तल पर ऊपर की ओर गति करती है जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। चकती द्वारा आनत तल पर चढ़ सकने की अधिकतम ऊँचाई है :
$r$ त्रिज्या वाले एक पहिए की परिधि पर पतली रस्सी लपेटी हुई है। पहिए का अक्ष क्षैतिज है जिसके परित: इसका जड़त्व आघूर्ण I है। भार $mg$, रस्सी के सिरे पर बँधा हुआ है जो विरामावस्था से नीचे गिरता है। $h$ दूरी से गिरने के पश्चात् पहिए का कोणीय वेग होगा
स्वतन्त्र घूर्णन करते हुए दो पिण्डों $A$ तथा $B$ के जड़त्व आघूर्ण क्रमश: $I_A$ तथा $I_B$ हैं। $I_A>I_B$ तथा उनके कोणीय संवेग बराबर हैं। यदि $K_A$ तथा $K_B$ उनकी गतिज ऊर्जायें हैं, तब
दो डिस्कों (चक्रिकायों) के जड़त्व आघूर्ण आपस में बराबर हैं। ये अपनी-अपनी नियमित अक्ष, जो इनके समतल के लम्बवत् है और चक्रिका के केन्द्र से होकर गुजरती है के परित: क्रमशः $\omega_{1}$ तथा $\omega_{2}$ कोणीय वेग से घूर्णन कर रही है। इनको एक दूसरे के सम्मूख इस प्रकार सम्पर्क में लाया जाता है कि, इनकी घूर्णन अक्ष संपाती हो जाती हैं। तो, इस प्रक्रम में ऊर्जा-क्षय के लिये व्यंजक होगा:
$m$ द्रव्यमान एवं $l$ लम्बाई की एक छड़ क्षैतिज फर्श पर एक सिरे से कब्जे (Hinge) द्वारा जोड़ दी गई है और यह ऊध्र्वाधर खड़ी है। इसे अब गिरने दिया जाता है, तो इसका ऊपरी सिरा जिस वेग से फर्श पर टकराता है वह होगा