$m$ द्रव्यमान की एक वस्तु पतली डोरी से बाँधकर डोरी को खोखली नली के भीतर से गुजारते हैं। नली को एक हाथ में तथा डोरी को दूसरे हाथ से पकड़ते हैं। अब वस्तु को $R$ त्रिज्या के वृत्त में $v$ वेग से घुमाते हैं। अब डोरी को नीचे की ओर खींचकर त्रिज्या को छोटा किया जाता है। इसमें क्या संरक्षित रहता है

  • A

    कोणीय संवेग

  • B

    रेखीय संवेग

  • C

    गतिज ऊर्जा

  • D

    उपरोक्त में से कोई नहीं

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द्रव्यमान $'m'$ का कोई कण किसी प्रक्षेप पथ पर समय $'t'$ में गतिमान है जिसे इस प्रकार दर्शाया गया है।

$\overrightarrow{ r }=10\; \alpha t ^{2} \hat{ i }+5\; \beta( t -5) \hat{ j }$

यहाँ $\alpha$ और $\beta$ विमीय स्थिरांक है।

इस कण का कोणीय संवेग $t =0$ पर कोणीय संवेग के बराबर तब होगा जब $t =\dots$ सेकण्ड है।

  • [JEE MAIN 2021]

द्रव्यमान $M$ तथा लम्बाई $a$ की एक पतली छड़ एक क्षैतिज तल में बिन्दु $O$ से गुजरने वाले एक स्थिर ऊर्ध्वाधर अक्ष के परितः घूर्णन करने के लिए स्वतंत्र है। द्रव्यमान $M$ तथा त्रिज्या $a / 4$ की एक पतली वृत्ताकार डिस्क को एक छड़ पर उसके स्वतंत्र सिरे से $a / 4$ दूरी पर चित्रानुसार धुराग्रस्थ (pivoted) किया गया है, जिससे वह अपने ऊर्ध्वाधर अक्ष के परितः घूर्णन करने के लिए स्वतंत्र है। मान ले कि छड़ और डिस्क दोनों का एकसमान घनत्व है, तथा गति के दौरान दोनों क्षैतिज रहते हैं। एक स्थिर प्रेक्षक किसी क्षण छड़ को कोणीय वेग (angular velocity) $\Omega$ से तथा डिस्क को कोणीय वेग $4 \Omega$ से घूर्णन करते हुए पाता है। इस निकाय का कोणीय संवेग (angular momentum) बिन्दु $O$ के परितः $\left(\frac{ M a^2 \Omega}{48}\right) n$ है। $n$ का मान होगा।

  • [IIT 2021]

$1\,kg$ के पिण्ड का स्थिति सदिश $\overrightarrow{ r }=(3 \hat{ i }-\hat{ j }) m$ है तथा इसका वेग $\overrightarrow{ v }=(3 \hat{ j }+ k ) ms ^{-1}$ है। इसके कोणीय संवेग का मान $\sqrt{ x } Nm$ है तब $x$ होगा

  • [JEE MAIN 2022]

$2 \; kg$ द्रव्यमान का एक कण, किसी चिकने क्षैतिज मेज पर स्थित है तथा $0.6 \; m$ त्रिज्या के वृत्ताकार पथ पर गति कर रहा है। भू-तल से मेज की ऊँचाई $0.8 \; m$ है। यदि कण की कोणीय चाल $12 \; rad s ^{-1}$ हो तो, वृत्त के केन्द्र के ठीक नीचे भू-तल पर किसी बिन्दु के परितः, इस कण का कोणीय संवेग का परिमाण होगा :

  • [JEE MAIN 2015]

यदि बल आघूर्ण का मान शून्य हो, तब