यदि किसी वस्तु का जड़त्व आघूर्ण ‘$I$’ तथा कोणीय वेग ‘ $ \omega $ ’ हो तब इसकी घूर्णन गतिज ऊर्जा होगी
$ \frac{1}{2}\, \times \,\,I\omega $
$ \frac{1}{2}\, \times \,\,{I^2}\omega $
$ \frac{1}{2}\, \times \,\,I{\omega ^2} $
$ \frac{1}{2}\, \times \,\,{I^2}{\omega ^2} $
लंबाई $L$ एंव द्रव्यमान $M$ की एकसमान पतली छड़ को अधिक घर्षण वाले तल पर लम्बवत रखते है। इसको स्थिर अवस्था में छोड़ने पर यह तल के संपर्क बिन्दु के परितः घूमते हुए बिना फिसले गिरती है। जब यह छड़ ऊर्ध्वाधर से $60^{\circ}$ कोण बनाती है। तब निम्नलिखित कथनों में से कौनसा/कौनसे सही है (हैं) ?
[ $g$ गुरूत्वीय त्वरण है]
$(1)$ छड़ के द्रव्यमान केन्द्र (center of mass) का त्रिज्य त्वरण (radial acceleration) $\frac{3 g }{4}$ होगा।
$(2)$ छड़ का कोणीय त्वरण $\frac{2 g }{ L }$ होगा।
$(3)$ छड़ की कोणीय गति $\sqrt{\frac{3 g }{2 L }}$ होगी।
$(4)$ तल के लम्बवत छड़ पर प्रतिक्रिया (normal reaction) बल $\frac{ Mg }{16}$ होगा।
एकसमान घनत्व वाली एक छोटी वस्तु प्रारम्भिक वेग $v$ से एक वक्रीय पृष्ठ पर ऊपर की ओर लुतकती है. यह अपनी प्रारम्भिक स्थिति के सापेक्ष $3v^2/4g$ को अधिकत्तम ऊँचाई तक पहुँचती है वस्तु है
कोई पिण्ड किसी आनत समतल पर बिना फिसले नीचे की ओर लुढ़क रहा है। इसकी घूर्णन की गतिज ऊर्जा स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा की $50 \%$ है। यह पिण्ड है कोई।
किसी घूर्णक (रोटर) की $200\, rad s ^{-1}$ की एकसमान कोणीय चाल बनाए रखने के लिए एक इंजन द्वारा $180$ $N m$ का बल आघूर्ण प्रेषित करना आवश्यक होता है । इंजन के लिए आवश्यक शक्ति ज्ञात कीजिए ।
(नोट : घर्षण की अनुपस्थिति में एकसमान कोणीय वेग होने में यह समाविष्ट है कि बल आघूर्ण शून्य है । व्यवहार में लगाए गए बल आघूर्ण की आवश्यकता घर्षणी बल आघूर्ण को निरस्त करने के लिए होती है ।) यह मानिए कि इंजन की दक्षता $100 \%$ है।
दो डिस्कों (चक्रिकायों) के जड़त्व आघूर्ण आपस में बराबर हैं। ये अपनी-अपनी नियमित अक्ष, जो इनके समतल के लम्बवत् है और चक्रिका के केन्द्र से होकर गुजरती है के परित: क्रमशः $\omega_{1}$ तथा $\omega_{2}$ कोणीय वेग से घूर्णन कर रही है। इनको एक दूसरे के सम्मूख इस प्रकार सम्पर्क में लाया जाता है कि, इनकी घूर्णन अक्ष संपाती हो जाती हैं। तो, इस प्रक्रम में ऊर्जा-क्षय के लिये व्यंजक होगा: