एक $4\,\mu F$ के संधारित्र को $50\, V$ पर आवेशित करके एक दूसरे $2\,\mu F$ के संधारित्र को $100\,V$ पर आवेशित करके, इस प्रकार जोड़ा जाता है कि समान आवेश की पट्टिकायें एक साथ जुड़े। जोड़ने से पहले और जोड़ने के बाद पूर्ण ऊर्जा $({10^{ - 2}}\,J)$ के गुणांक में होगी
$1.5$ और $1.33$
$1.33$ और $1.5$
$3.0$ और $2.67$
$2.67$ और $3.0$
एक समान्तर पट्ट संधारित्र की प्लेटों के बीच ${10^5}\,V/m$ का विद्युत क्षेत्र है। यदि संधारित्र की प्लेट पर आवेश $1\,\mu \,C$ है तो संधारित्र की प्रत्येक प्लेट पर बल .......$N$ है
दो संधारित्र जिनमें प्रत्येक की धारिता $1\,\mu F$ है, समान्तर क्रम में जुड़े हैं। उनको $200\;volts$ की दिष्ट धारा द्वारा आवेशित करते हैं, उनके आवेशों की कुल ऊर्जा जूल में होगी
यदि किसी स्थिर-विद्युत क्षेत्र में $E$ विद्युत क्षेत्र की तीव्रता हो तो स्थिर विद्युत ऊर्जा घनत्व समानुपाती होगा
एक परिवर्ती संधारित्र को स्थाई रूप से $100$ $V$ की बैटरी से जोड़ा गया है। यदि धारिता $2\,\mu \,F$ से बदलकर $10\,\mu \,F$ कर दी जाये तो ऊर्जा में परिवर्तन है
किसी पूर्णत: आवेशित संधारित्र की धारिता $‘C’$ है। इस संधारित्र का विसर्जन प्रतिरोधी तार की बनी किसी ऐसी छोटी कुण्डली से होकर किया जाता है, जो द्रव्यमान $‘m’$ तथा विशिष्ट ऊष्माधारिता $'s'$ के किसी ऊष्मारोधी गुटके में अंत: स्थापित है। यदि गुटके के ताप में वृद्धि ‘$\Delta T$’ है, तो संधारित्र के सिरों के बीच विभवान्तर है