किसी पूर्णत: आवेशित संधारित्र की धारिता $‘C’$ है। इस संधारित्र का विसर्जन प्रतिरोधी तार की बनी किसी ऐसी छोटी कुण्डली से होकर किया जाता है, जो द्रव्यमान $‘m’$ तथा विशिष्ट ऊष्माधारिता $'s'$ के किसी ऊष्मारोधी गुटके में अंत: स्थापित है। यदि गुटके के ताप में वृद्धि ‘$\Delta T$’ है, तो संधारित्र के सिरों के बीच विभवान्तर है

  • [AIEEE 2005]
  • A

    $\frac{{ms\Delta T}}{C}$

  • B

    $\sqrt {\frac{{2ms\Delta T}}{C}} $

  • C

    $\sqrt {\frac{{2mC\Delta T}}{s}} $

  • D

    $\frac{{mC\Delta T}}{s}$

Similar Questions

एक समान्तर प्लेट संधारित्र को $50\, V$ के विभवान्तर तक आवेशित किया गया है। इसे एक प्रतिरोध से निरावेशित किया जाता है।  $1$ सैकण्ड बाद, प्लेटों के मध्य विभवान्तर $40 \,V$ रह जाता है तो

किसी संधारित्र को एक बैटरी से आवेशित किया जाता है। फिर बैटरी को हटाकर, इस संधारित्र से, समान्तर क्रम में ठीक ऐसा ही एक अन्य अनावेशित संधारित्र जोड़ दिया जाता है। तो, इस प्रकार बने परिणामी निकाय की कुल स्थिर वैधूत ऊर्जा ( पहले संधारित्र की तुलना में) :

  • [NEET 2017]

एक संधारित्र जिसकी धारीता $50\,pF$ है उसे $100\,V$ स्त्रोत से आवेशित किया जाता है। फिर उसे समान अन्य अनावेशित संधारित्र से जोड़ा जाता है। प्रक्रिया में स्थिर वैद्युत ऊर्जा ह्वास $nJ$ में ज्ञात कीजिए।

  • [JEE MAIN 2022]

प्रत्येक आवेशित संधारित्र में ऊर्जा रहती है

तीन समान संधारित्रों को भिन्न-भिन्न क्रम में जोड़ा जाता है, किस क्रम में समान विभव पर, मह़त्तम ऊर्जा संग्रहित होगी