एक आवेश $Q$ को दो भागों में $q$ और $Q - q$ में विभाजित किया जाता है। अलग करने पर दोनों आवेशों के बीच का कूलॉम बल अधिकतम तब होगा जब अनुपात $Q/q$ का मान होगा
$2$
$0.5$
$4$
$0.25$
ऊष्मा संचालन की स्थायी अवस्था (steady state) में, ऊष्मा धारा $\vec{\jmath}(\vec{r})$ (प्रति क्षेत्रफल से प्रति सेकंड प्रवाहित होने वाली ऊष्मा) तथा तापमान $T(\vec{r})$ को किसी स्थान पर निर्धारित करने वाला समीकरण, विद्युत क्षेत्र $\vec{E}(\vec{r})$ तथा स्थिर वैद्युत विभव $V(\vec{r})$ को निर्धारित करने वाले समीकरण के जैसा ही दिखता है। इन चरों की आपस में तुल्यता नीचे सारणी में दर्शाई गई है।
ऊष्मा संचरण | स्थिर वैद्युत |
$T( r )$ | $V( r )$ |
$j ( r )$ | $E ( r )$ |
इस तुल्यता की सहायता से समान ताप पर रखे गए किन्तु भिन्न भिन्न त्रिज्याओं के गोलों की सतह से प्रवाहित होने वाली कुल ऊष्मा की दर $\dot{Q}$ का अनुमान लगाया जाता है। यदि $\dot{Q} \propto R^n$, जहां $R$ त्रिज्या है, तो $n$ का मान होगा
एक कण त्वरक (Particle accelerator) में, प्रोटॉन पुंज की $500 \,\mu A$ की विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। इस पुंज में प्रत्येक प्रोटान की चाल $3 \times 10^7 \,m / s$ है। पुंज के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल $1.50 \,mm ^2$ है। इस पुंज में आवेश का घनत्व $Coulomb/m$ मात्रक में लगभग होगा।
$a$ तथा $b$ त्रिज्या के दो गोले आवेशित करने के पश्चात एक तार के द्वारा जोड़ दिये जाते हैं। गोलों की विद्युत क्षेत्र की तीव्रताओं का अनुपात होगा
$M_1$ एवं $M_2$ दो पिण्ड हैं. जिनका धनात्मक आवेश फ्रमश: $Q_1$ एवं $Q_2$ है। दोनों पिण्डों को एक ऊँचाई से एकसमानविद्युत क्षेत्र में गिराया जाता है। विद्युत क्षेत्र ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की तरफ है। पिण्ड $M_1$ पिण्ड $M_2$ से पहले जमीन पर गिरता है, तव,
यदि एक समबाहु त्रिभुज के तीनों शीर्ष पर $2q,\, - q,\, - q$ आवेश क्रमश: स्थित हैं, तो त्रिभुज के केन्द्र पर