$4\,\mu\,C$ के किसी आवेश को, दो आवेशों में विभाजित किया जाता है। विभाजित आवेशों के बीच की दूरी नियत है। यदि उनके बीच में अधिकतम बल लग रहा है, तो विभाजित आवेशों का परिमाण होगा :
$1\; \mu C$ एवं $3\; \mu C$
$2\; \mu C$ एवं $2\; \mu C$
$0$ एवं $4\; \mu C$
$1.5\; \mu C$ एवं $2.5\; \mu C$
कल्पना कीजिये कि एक प्रोटॉन और एक इलेक्ट्रान के आवेश में अल्प अन्तर होता है। इनमें से एक $- e$ है और दूसरा $( e +\Delta e )$ है। यदि एक दूसरे से $^{\prime} d ^{\prime}$ दूरी पर रखे हाइड्रोजन के दो परमाणुओं के बीच ( जहाँ $d$ परमाणु के साइज से बहुत अधिक है ) स्थिर वैधुत बल और गुरूत्वीय बल का परिणामी ( नेट) शून्य है तो, $\Delta e$ की कोटि होगी :
(दिया है, हाइड्रोजन का द्रव्यमान $m _{ h }=1.67 \times 10^{-27}$ $kg)$
लम्बाई $l$ की दो द्रव्यमानहीन डोरियो द्वारा एक उभयनिष्ठ बिन्दु से दो एकसमान आवेशित गोले लटकाये गये है, जों कि प्रारम्भ में दूरी $d(d$ $ < < l)$ पर अपनें अन्योन्य विकषर्ण के कारण है। दोंनों गोलों से आवेश एक स्थिर दर से लीक होना प्रारम्भ करता है। इसके परिणाम स्वरूप आवेश एक दूसरे की ओर $v$ वेग से गति करना प्रारम्भ करते है। तब दोनों के बीच दूरी $x$ के फलन के रूप में
$(a)$ "किसी वस्तु का वैध्यूत आवेश क्वांटीकृत है," इस प्रकथन से क्या तात्पर्य है?
$(b)$ स्थूल अथवा बड़े पैमाने पर वैध्यूत आवेशों से व्यवहार करते समय हम वैध्यूत आवेश के क्वांटमीकरण की उपेक्षा केसे कर सकते हैं?
दो समरूप आवेशित गोले $A$ एवं $B$, जो एक-दूसरे से एक निश्चित दूरी से विस्थापित है, के बीच $F$ परिमाण का प्रतिकर्षण बल लगता है। समान आकार के एक तीसरे अनावेशित गोले $C$ को गोले $B$ के सम्पर्क में रखकर विलगित किया जाता है तथा इसे $A$ एवं $B$ के मध्यबिन्दु पर रखा जाता है। $C$ गोले पर लगे बल का परिमाण है
दो आवेश वायु में एक-दूसरे से $d$ दूरी पर रखे हैं इनके बीच लगने वाला बल $F$ है। यदि इन्हें $2$ परावैद्युतांक वाले द्रव में डुबो दिया जाये (सभी स्थितियाँ समान रहें), तो अब इनके मध्य लगने वाला बल होगा