एक संधारित्र जिसकी धारिता $2\,\mu F$ है इसे $200\, V$ तक आवेशित किया जाता है आवेशन के पश्चात् प्लेटों को एक चालक तार से जोड़ दिया जाता है। उत्पé ऊष्मा जूल में होगी

  • A

    $4 \times {10^4}$ जूल

  • B

    $4 \times {10^{10}}$ जूल

  • C

    $4 \times {10^{ - 2}}$ जूल

  • D

    $2 \times {10^{ - 2}}$ जूल

Similar Questions

किसी पूर्णत: आवेशित संधारित्र की धारिता $‘C’$ है। इस संधारित्र का विसर्जन प्रतिरोधी तार की बनी किसी ऐसी छोटी कुण्डली से होकर किया जाता है, जो द्रव्यमान $‘m’$ तथा विशिष्ट ऊष्माधारिता $'s'$ के किसी ऊष्मारोधी गुटके में अंत: स्थापित है। यदि गुटके के ताप में वृद्धि ‘$\Delta T$’ है, तो संधारित्र के सिरों के बीच विभवान्तर है

  • [AIEEE 2005]

दो सर्वसम संधारित्रों की धारिता $C$ है। इनमें से एक को ${V_1}$ विभव तक तथा दूसरे को ${V_2}$ विभव तक आवेशित किया गया है। संधारित्रों के ऋण सिरों को एक साथ जोड़ दिया जाता है। जब धन सिरों को भी जोड़ देंगे तब निकाय की ऊर्जा में हानि होगी

  • [IIT 2002]

$C$ धारिता वाले एक समान्तर प्लेट धारित्र को $V$ विभव की बैटरी से समान्तर क्रम में जोड़ा गया है, अब धारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी को एकाएक आधा कर दिया गया। यह मानकर कि दूरी घटाने पर संधारित्र में आवेश वही बना रहा, तो धारित्र को अन्तिम विभव $V$ पर दुबारा आवेशित करने के लिये बैटरी द्वारा दी गई ऊर्जा होगी

एक $20\,F$ के संधारित्र को $5\,V$ तक आवेशित करके बैटरी से अलग कर दिया जाता हैं। फिर इसे $30\,F$ के एक अनावेशित संधारित्र के समान्तर क्रम में जोड़ते हैं। इस निकाय की .........$J$ ऊर्जा में कमी होगी

दो गोलीय चालकों को जिसकी प्रत्येक की धारिता $C$ है, विभव $V$ और $ - V$ तक आवेशित किया गया है तत्पश्चात् इन्हें एक बारीक तार से संबद्ध किया गया है। इससे ऊर्जा में ह्यस होगा