एक लम्बे चुम्बक को दो भागों में इस प्रकार तोड़ा जाता है कि उनकी लम्बाइयों का अनुपात $2 : 1 $ होता है । दोनों भागों के ध्रुव प्राबल्य होंगे
बराबर
$2 : 1 $ के अनुपात में
$1 : 2 $ के अनुपात में
$4 : 1 $ के अनुपात में
चुम्बकीय आघूर्ण का मात्रक है
दण्ड चुम्बक की चुम्बकीय बल रेखाएँ एक-दूसरे को नहीं काटतीं क्योंकि
$10^4\,J/T$ जूल प्रति टेसला चुम्बकीय आघूर्ण का एक छड़ चुम्बक क्षैतिज तल में स्वतंत्रतापूर्वक घूम सकता है $4×10^{-5}\, T$ टेसला के क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र में इस छड़ चुम्बक को क्षेत्र की समानान्तर दिशा में $ 60°$ कोण तक घुमाने हेतु किए गए कार्य का मान .....$J$ होगा
दो समान दण्ड चुम्बकों, जिसके केन्द्र $r $ मीटर दूरी पर हैं, के अक्ष एक ही रेखा पर हों, तब $4.8 \,N $ का बल लगता है। यदि इनके मध्य की दूरी $2r$ कर दी जाये, तो उनके बीच बल का मान .........$N$ कम हो जायेगा
दो छोटे-छोटे छड़ चुम्बक एक रेखा में $d $ दूरी पर इस प्रकार रखे हैं कि उनके समान ध्रुव एक-दूसरे की ओर हैं । यदि प्रत्येक चुम्बक की लम्बाई $d $ के मुकाबले नगण्य हो, तो दोनों चुम्बकों के बीच बल निम्न के व्युत्क्रमानुपाती होगा