एक समान्तर प्लेट संधारित्र $C$ धारिता की एक बैटरी से जुड़ा है और $V$ विभवान्तर से आवेशित है। अन्य $2C$ धारिता का संधारित्र, अन्य बैटरी से जुड़ा है और $2V$ विभवान्तर से आवेशित है। आवेशित करने वाली बैटरी को अब हटा दिया जाता है और संधारित्रों को अब समान्तर क्रम में इस प्रकार जोड़ दिया जाता है कि एक संधारित्र का धनात्मक सिरा, दूसरे के ऋणात्मक सिरे से जुड़े हों। इस विन्यास की अंतिम ऊर्जा है

  • [IIT 1995]
  • A

    शून्य

  • B

    $\frac{{25C{V^2}}}{6}$

  • C

    $\frac{{3C{V^2}}}{2}$

  • D

    $\frac{{9C{V^2}}}{2}$

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एक आवेशित संधारित्र की प्लेटों के मध्य माध्य विद्युत ऊर्जा घनत्व है (यहाँ $q$= संधारित्र पर आवेश और $A$= संधारित्र की प्लेट का क्षेत्रफल)

एक संधारित्र जिसकी धारिता $2\,\mu F$ है इसे $200\, V$ तक आवेशित किया जाता है आवेशन के पश्चात् प्लेटों को एक चालक तार से जोड़ दिया जाता है। उत्पé ऊष्मा जूल में होगी

$900\  \mu \mathrm{F}$ धारिता वाले एक संधारित्र को $100 \mathrm{~V}$ वाली बैटरी के द्वारा आवेशित किया जाता है। अब इसे बैटरी से हटाया जाता है, एवं किसी दूसरे एकसमान अनावेशित संधारित्र के साथ इस प्रकार जोड़ा जाता है कि अनावेशित संधारित्र की एक पट्टी, आवेशित संधारित्र की धन पट्टी से एवं दूसरी पट्टी आवेशित संधारित्र की ऋण पट्टी से जुड़ती है। इस प्रक्रिया में हुई ऊर्जा क्षय का मान $\mathrm{x} \times 10^{-2} \mathrm{~J}$ है। $\mathrm{x}$ का मान होगा

  • [JEE MAIN 2023]

आरेख में दर्शाए अनुसार $2\, \mu F$ धारिता के किसी संघारित्र का आवेशन किया गया है । जब स्विच $S$ को सिथिति $2$ पर घुमाया जाता है, तो इसमें संचित ऊर्जा का प्रतिशत क्षय होगा :

  • [NEET 2016]

$4$ $\mu\,F$ धारिता वाले संधारित्र को $400\, V$ से आवेशित करके इसकी प्लेटों को एक प्रतिरोध द्वारा आपस में जोड़ देते हैं। प्रतिरोध में उत्पन्न ऊष्मा ........$J$ होगी