तीन समान संधारित्रों को भिन्न-भिन्न क्रम में जोड़ा जाता है, किस क्रम में समान विभव पर, मह़त्तम ऊर्जा संग्रहित होगी
जब दो समान्तर क्रम में जोड़कर तीसरे से श्रेणीक्रम में जोड़े जाएँ
जब तीनों श्रेणीक्रम में जोड़े जाएँ
जब तीनों श्रेणीक्रम में जोड़े जाएँ
जब दो श्रेणीक्रम में जोड़कर तीसरे से समान्तर क्रम में जोड़े जाएँ
$0.3\,\mu F$ और $0.6\,\mu F$ धारिता के दो संधारित्र श्रेणीक्रम में जुड़े हुये हैं। यदि संयोजन को $6\,volts$ के स्रोत से जोड़ दिया जाये, तो प्रत्येक संधारित्र पर संग्रहित ऊर्जा का अनुपात होगा
एक गोला जिसकी त्रिज्या $1\,cm$ एवं विभव $8000\,V$ है तो इसकी सतह के नजदीक ऊर्जा घनत्व होगा
एक $5\, \mu F$ संधारित्र को $220\, \,V$ विघुत आपूर्ति कर पूर्णत: आवेशित किया जाता है और पूणः आपूर्ति बंद कर इसे $2.5\, \mu F$ के संधारित्र के साथ श्रेणीक्रम में जोड़ दिया जाता है। यदि आवेश के पूणर्वितरण के दौरान ऊर्जा परिवर्तन $\frac{ X }{100} J$ है तो $X$ का मान निकटतम पूर्णाक में है
एक $C$ धारिता वाले धारित्र का आवेश $Q$ और संचित ऊर्जा $W$ है। यदि उसका आवेश बढ़ाकर $2Q$ कर दिया जाये, तो संचित ऊर्जा होगी
एक समांतर पट्टीकीय संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी $d$ और प्लेटों का अनुप्रस्थ परिच्छेदित क्षेत्रफल $A$ है। इसे आवेशित कर प्लेटों के बीच का अचर विधुतीय क्षेत्र $E$ बनाना है। इसे आवेशित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा होगी