अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल $A$ तथा पृथकन $d$ के कि समांतर पट्टिका संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच वा भरी है । इन पट्टिकाओं के बीच मोटाई $d / 2$ और समान क्षेत्रफल का कोई विद्युतरोधी गुटका, जिसके परावैद्युतांक $K(=4)$ है, आरेख में दर्शाए अनुसार सन्निवेशित कर दिया गया है । इस संधारित्र की नये धारिता और मूल धारिता का अनुपात होगा -
$4:1$
$2:1$
$8:5$
$6:5$
ध्रुवीय अणु ऐसे अणु होते हैं :
दो संधारित्रों को श्रेणी क्रम में जोड़ा गया है, जिनमें प्रत्येक की धारिता $40\,\mu F$ है। इनमें से एक संधारित्र की पट्यियों के बीच के स्थान को $K$ परावैद्युतांक वाले परावैद्युत पदार्थ से भरा जाता है कि निकाय की तुल्य धारिता $24\,\mu F$ हो जाती है। $K$ का मान होगा :
किसी समान्तर पट्टिका संधारित्र, जिसकी पट्टिकाओं का क्षेत्रफल ' $A$ ' तथा पट्टिकाओं के बीच पथकन ' $d$ ' है में कोई परावैधुत पदार्थ भरा है। इस संधारित्र की धारिता क्या होगी जबकि परावैधुत पदार्थ की विधुतशीलता/ परावैघुतांक में विचरण नीचे दिए अनुसार हो रहा है :
$\varepsilon( x )=\varepsilon_{0}+ kx$, जबकि $\left(0< x \leq \frac{ d }{2}\right)$
$\varepsilon( x )=\varepsilon_{0}+ k ( d - x )$, जबकि $\left(\frac{ d }{2} \leq x \leq d \right)$
समान्तर प्लेट संधारित्रों के एक संयोजन को एक निश्चित विभवान्तर पर रखा गया है। (चित्र देखिये)
जब $3\; mm$ मोटे गुटके को सभी संधारित्रों की प्लेटों के बीच डाला जाता है, तो वही विभवान्तर बनाये रखने के लिए प्लेटों के बीच की दूरी को $2.4\; mm$ से बढ़ाना पड़ता है। गुटके का परावैद्युतांक होगा
एक वायु संधारित्र की धारिता $1\,pF$ है। यदि प्लेटों के बीच की दूरी दुगुनी कर दी जाये एवं प्लेटों के मध्य मोम भर दी जाये तो धारिता बढ़कर $2\,pF$ हो जाती है, मोम का परावैद्युतांक होगा