एक समान्तर प्लेट संधारित्र को सर्वप्रथम आवेशित किया जाता है। फिर इसकी प्लेटों के बीच परावैद्युतांक की पट्टिका रखी जाती है। अपरिवर्तित रहने वाली राशि है
आवेश $Q$
विभव$V$
धारिता$C$
ऊर्जा $U$
धारिता $C = 10\,\mu F$ वाला एक वायु-संधारित्र $12\,V$ की स्थिर वोल्टता वाली बैटरी से संबद्ध किया गया है अब इसकी पट्टिकाओं के बीच के स्थान में परावैद्युतांक $5$ वाला द्रव भर दिया जाता है। बैटरी से संधारित्र में जाने वाले नये आवेश का मान ........$\mu C$ होगा
एक गोलीय संधारित्र के गोलाकारों की त्रिज्याएँ क्रमश: $12\;cm$ एवं $9\;cm$ हैं उनके बीच के माध्यम का परावैद्युतांक $6$ है, तो संधारित्र की धारिता होगी
दो एक समान आवेशित गोलों का समान लम्बाई की डोरियों से लटकाया गया है। डोरियाँ एक दूसरे से $37^{\circ}$ का कोण बनाती हैं। जब इन्हें $0.7$ ग्राम/सेमी. ${ }^3$, घनत्व के किसी द्रव में डुबाया जाता है, तो उनके बीच बना कोण वही रहता है। यदि गोले के पदार्थ का घनत्व $1.4$ग्राम/सेमी. ${ }^3$ हो, तो द्रव का परावैद्युतांक. . . . . . . . होगा। $\left(\tan 37^{\circ}=\frac{3}{4}\right)$.
एक समान्तर पट्टिका संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच का स्थान एक परावैद्युत से भरा जाता है जिसका परावैद्युत स्थिरांक दूरी के साथ निम्न सम्बन्ध अनुसार परिवर्तित होता है :
$K (x)= K _{ o }+\lambda x(\lambda=$ एक स्थिरांक $)$
संधारित्र की धारिता $C$, इसकी निर्वात धारिता, $C _{ O }$ के साथ निम्न सम्बन्ध अनुसार सम्बन्धित होगी
एक परावैद्युत पट्टी को संधारित्र की प्लेटों के बीच रखते हैं, जबकि संधारित्र बैटरी से जुड़ा है, तब