भुजा $'a'$ वाली दो वर्गाकार प्लेटों को दूरी $d$ पर रखकर एक समांतर प्लेट संधारित्र बनाया जाता है। दिया है ( $d \ll< a$ )। इसमें परवैध्यूतांक $K$ के परावैध्यूत को चित्रानुसार लगाते हैं जिससे निचले त्रिभुजाकार भाग में परावैध्यूत पदार्थ रहता है। इस संधारित्र की धारिता होगी :
$\frac{{K{\varepsilon _0}{a^2}}}{{d\left( {K - 1} \right)}}\,\ln \,K$
$\frac{{K{\varepsilon _0}{a^2}}}{{2d\left( {K + 1} \right)}}$
$\frac{{K{\varepsilon _0}{a^2}}}{d}\,\ln \,K$
$\frac{1}{2}\frac{{K{\varepsilon _0}{a^2}}}{d}$
$200\, \mu F$ धारिता का एक समान्तर प्लेट संधारित्र $200$ वोल्ट बैटरी से जोड़ दिया जाता है। बैटरी को जुड़ी रखते हुए $2$ पैरावैघुतांक वाले पैरावैघुत गुटके को प्लेटों के बीच रख देते है। धारित्र में स्थिर वैधुत ऊर्जा का परिवर्तन $.......$ जूल होगा।
चित्र में दिए गए पात्र का आधार $50 cm \times 5 cm$ तथा ऊँचाई $50 cm$ है| पात्र की दो समानान्तर दीवारें, जिनका क्षेत्रफल $50 cm \times 50 cm$ है, विद्युत् की चालक (electrically conducting) हैं| शेष सभी दीवारें पतली तथा अचालक हैं| एक परावैद्युतांक $3$ वाले द्रव को खाली पात्र में $250 cm ^3 s ^{-1}$ की एकसमान दर से भरा जाता है। $10$ सेकंड समय के उपरान्त पात्र की धारिता का $pF$ में मान क्या है?
[दिया है : मुक्त आकाश की विद्युतशीलता $\epsilon_0=9 \times 10^{-12} C ^2 N ^{-1} m ^{-2}$, अचालक दीवारों के धारिता पर प्रभाव नगण्य है]
किसी वायु संधारित्र की धारिता $15\,\mu F$ है तथा समान्तर पट्टिकाओं के बीच की दूरी $6\,mm$ है। $3\,mm$ मोटाई की एक ताँबे की पट्टिका, सममितत: पट्टिकाओं के बीच डाली जाती है। धारिता अब ......$\mu F$ हो जाती है
यदि समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी आधी कर दी जाये एवं परावैद्युतांक दो गुना कर दें तो धारिता हो जायेगी
दो प्लेटों पर समान और विपरीत आवेश हैं। जब दोनों के मध्य के स्थान में निर्वात् उत्पन किया जाता है, तो वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता (प्लेटों के मध्य) $2 \times {10^5}\,V/m$ रहती है। जब प्लेटों के मध्य परावैद्युत रखा जाता है, तो वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता $1 \times {10^5}\,V/m$ होती है। परावैद्युत पदार्थ का परावैद्युतांक