एक समान्तर प्लेट संधारित्र में प्रत्येक वृत्तीय प्लेट की त्रिज्या $12$ सेमी तथा उनके बीच की दूरी $5$ मिमी है। उनके बीच में $3$ मिमी मोटाई तथा $12$ सेमी त्रिज्या की कांच की प्लेट है जिसका परावैद्युतांक $6$ है, तो संधारित्र की धारिता होगी

  • A

    $144 \times {10^{ - 9}}\,F$

  • B

    $40\,pF$

  • C

    $160\,pF$

  • D

    $1.44\,\mu F$

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एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों की बीच दूरी $0.01\, mm$ है तथा एक परावैद्युत, जिसकी परावैद्युत क्षमता $19\,  KV/mm$ है, प्लेटों के बीच एक कुचालक की तरह उपयोग किया गया है तो अधिकतम विभवान्तर जो संधारित्र की प्लेटों के मध्य आरोपित किया जा सके .......$V$ होगा

एक समानान्तर प्लेट संधारित्र की प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल $100\,c{m^2}$ है और दोनों प्लेटों के बीच की दूरी $1 \,mm$ है, जिसमें अभ्रक भरा हुआ है, जिसका परावैद्युतांक $6$ है। उसकी धारिता के तुल्यधारिता वाले गोले की त्रिज्या .......$m$ होगी

$q$ आवेश से आवेशित $r$ अर्द्धव्यास वाली आठ बूँदों को मिलाकर एक बड़ी बूँद बनाई गई है। बड़ी बूँद के विभव तथा छोटी बूँद के विभव में अनुपात है

$A$ संधारित्र की धारिता $15$ परावैद्युतांक वाले माध्यम की उपस्थिति में $15\,\mu F$ है एक अन्य संधारित्र $B$ जिसकी प्लेटों के बीच वायु है, की धारिता $1\,\mu F$ है। दोनों को अलग-अलग $100\;V$ की बैटरी से आवेशित किया जाता है। आवेशन के बाद दोनों को बिना बैटरी व परावैद्युत माध्यम निकालकर समान्तर क्रम में जोड़ा जाता है। अब उभयनिष्ठ विभव .......$V$ होगा

संधारित्र की प्लेटों के बीच एक परावैद्युत पदार्थ रखने पर, धारिता, विभव एवं स्थितिज ऊर्जा में क्रमश: होती है