किसी पदार्थ में $16$ ग्राम रेडियोएक्टिव पदार्थ है जिसकी अर्द्ध-आयु $2$ दिन है। $32$ दिनों के पश्चात् पदार्थ में रेडियोएक्टिव पदार्थ की मात्रा होगी

  • A

    $1$ मिलीग्राम से कम  

  • B

    $\frac{1}{4}$ ग्राम

  • C

    $\frac{1}{2}$ ग्राम

  • D

    $1$  ग्राम

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दो घण्टे के पश्चात् एक निश्चित रेडियोएक्टिव समस्थानिक की प्रारम्भिक मात्रा का $\frac{1}{16}$ वां भाग शेष रह जाता है। इस समस्थानिक की अर्द्ध-आयु है

किसी रेडियोऐक्टिव पदार्थ का अर्द्धायु $\mathrm{T}$ है। इसके वास्तविक द्रव्यमान के $\frac{7}{8}$ th भाग को विघटित होने में लगा समय होगा:

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एक रेडियोधर्मी तत्व विघटित होकर एक स्थायी नाभिक बनाता है। तो विघटन दर में परिवर्तन निम्न में से किस चित्र द्वारा प्रदर्शित होगा

एक मिश्रण में क्रमशः $20 \,s$ तथा $10 \,s$ अर्द्ध आयु के दो रेडियोधर्मि पदार्थ $A_{1}$ और $A_{2}$ हैं। प्रारम्भ में मिश्रण में $A_{1}$ और $A_{2}$ की मात्राऍ क्रमश $40\, g$ तथा $160\, g$ है तो, ..........$s$ समय पश्चात् मिश्रण में दोनों की मात्र समान हो जायेगी?

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जीवित कार्बनयुक्त द्रव्य की सामान्य ऐक्टिवता, प्रति ग्राम कार्बन के लिए $15$ क्षय प्रति मिनट है। यह ऐक्टिवता, स्थायी समस्थानिक $_{6}^{14} C$ के साथ-साथ अल्प मात्रा में विद्यमान रेडियोऐक्टिव $_{6}^{12} C$ के कारण होती है। जीव की मृत्यु होने पर वायुमंडल के साथ इसकी अन्योन्य क्रिया ( जो उपरोक्त संतुलित ऐक्टिवता को बनाए रखती है ) समाप्त हो जाती है, तथा इसकी ऐक्टिवता कम होनी शुरू हो जाती है। $_{6}^{14} C$ की ज्ञात अर्धायु ( $5730$ वर्ष ) और नमूने की मापी गई ऐक्टिवता के आधार पर इसकी सन्निक आयु की गणना की जा सकती है। यही पुरातत्व विज्ञान में प्रयुक्त होने वाली $_{6}^{14} C$ कालनिर्धारण (dating) पद्धति का सिद्धांत है। यह मानकर कि मोहनजोदड़ो से प्राप्त किसी नमूने की ऐक्टिवता $9$ क्षय प्रति मिनट प्रति ग्राम कार्बन है। सिंधु घाटी सभ्यता की सन्नकट आयु का आकलन कीजिए।